नई दिल्ली: भारत के चीन के साथ संबधों में कड़वाहट कोई नई बात नहीं है, सालों से इस मामले को लेकर दोनों ही देश आमने सामने खड़े हो चुके हैं यहां तक की चीन से भारत का युद्ध 1962 में हो चुका है, वहीं मई-जून 2020 के दौरान में लद्दाख में फिर चीन-भारत के बीच गतिरोध उत्पन्न हुआ तो दोनों ही देश इस बार पहल कर उच्च स्तरीय वार्ता करने आमने सामने बैठे, मकसद था कि सीमा पर डी-एस्केलेशन (de-escalation) करना यानि दोनों देश के बीच तनाव को कम करना।
डी-एस्केलेशन यानि de-escalation की बात करें तो इसका संदर्भ होता है कि किन्हीं दो देशों के बीच तनाव को उसकी तीव्रता को कम करना यानि आसान भाषा में कहें तो युद्ध की स्थितियों को टालना उसके लिए तनाव को कम करने के लिए जो कदम उठाए जाते हैं। डी-एस्केलेशन का अर्थ संघर्ष, निरस्त्रीकरण और विरोधियों के बीच रचनात्मक राजनयिक वार्ता की स्थापना के क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्रों की सीमाओं की एक संकुचन का तात्पर्य है।
इससे पहले भी ही जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो भारत ने ये फैसला किया गया था कि भारतीय सैनिक गलवान घाटी,पैंगोंग सो, डेमचोक के सारे विवादित इलाकों में चीनी सैनिकों के आक्रामक अंदाज से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाएंगे बाद में चीन भारत के साथ उच्च स्तरीय बात के लिए तैयार हुआ और भारत चीन (India-China Faceoff) के बीच बैठक भी हुई।
लेकिन इसके बाद भी तनाव में कमी नहीं दिखी जिसकी परिणिति ये रही कि सोमवार की रात एक बार फिर चीन और भारतीय सेना का आमना सामना हुआ, जिसमें भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए हैं।
मगर सोमवार को इसका उलट असर दिखा और गलवान घाटी (Galwan Ghati ) में भारत और चीन के बीच झड़प में एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं। बताया जा रहा है कि बीती रात यह झड़प हुई थी। हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल की बातचीत में दोनो सेनाएं पीछे हटी थीं। बताया जा रहा है कि भारतीय फौज ने चीनी सैनिकों से पीछे हटने के लिए कहा था। जिस समय एलएसी पर सैनिक चीनी फौज को पीछे ढकेल रहे थे उसी वक्त यह घटना घटी।
वहीं भारतीय सेना ने अपने एक बयान में मंगलवार को कहा, 'गलवान वैली में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात हुई हिंसक झड़प में भारत और चीन दोनों तरफ के सैनिकों की मौत हुई है। भारत की तरफ से एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए हैं।' हिंसा की घटना सामने आने के बाद भारत और चीन के सैन्य अधिकारी गलवान घाटी में तनाव के स्तर को कम करने में जुटे हैं।
लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में जब एलएसी के पास चीनी सेना की हरकत शुरू हुआ तो नतीजा विवाद के रूप में आया था। भारतीय कूटनीति और फौज का दबाव काम आया और चीनी सेना गलवान घाटी में पीछे हुई लेकिन तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।मौजूदा समय में पीएलए के करीब 10 हजार सैनिक गलवान और पैंगोंग लेक के पीछे हैं।
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