नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर देशवासियों से रात 8 बजे रूबरू होंगे। सबके जेहन में यह सवाल जरूर कौंधा होगा कि इस दफा वो क्या कह सकते हैं। पीएम क्या बोलेंगे इसके लिए तो इंतजार करना होगा। लेकिन सोमवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ जब दो चरणों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की तो एक बात साफ कर दी कि ग्रामीण भारत को इस संकट से बचाने की जिम्मेदारी हर किसी की है। इसके साथ ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने सभी राज्यों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में जिस टीम भावना के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं उस जज्बे को बनाए रखने की जरूरत है।
24 मार्च से 12 मई तक लॉकडाउन का सफर
मार्च के महीने में जब पीएम मोदी पहली बार रूबरू हुए तो उन्होंने कहा कि देश इस समय दुनिया के दूसरे मुल्कों की तरह कोरोना काल से गुजर रहा है। इस संकट को गंभीरता से लेने की जरूरत है। हमें इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशवासियों से रविवार यानि 22 मार्च को शाम पांच बजे पांच मिनट तक कोरोना के कर्मवीरों के सम्मान में ताली और थाली बजाने का आह्वान किया। इसके बाद 24 मार्च को अहम संदेश में कहा कि दुनिया के जिन मुल्कों ने कोरोना के खतरे को गंभीरता से नहीं लिया वहां की हालात आप देख सकते हैं और इस तरह से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया ।
पीएम के भाषण में संयम, संकल्प पर खास जोर
अब अगर आज की तारीख तक भारत की तैयारी और पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन को देखें तो एक तरफ जहां उन्होंने जान है तो जहान की बात कही तो दूसरी तरफ जान भी जहान भी का नारा दिया। भारत 19 दिन के लॉकडाउन में 3 मई तक के लिए फिर गया और इस तरह क्वारंटीन की जो पूरी अवधि होती है उसे पूरा किया। इस बीच राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद भी हुआ और सुझावों के आधार पर लॉकडाउन को एक बार फिर 17 मई तक बढ़ाने का फैसला लिया गया। इस दौरान शर्तों के साथ आर्थिक गतिविधियों को शुरु करने की इजाजत भी दी गई । लेकिन अब बड़ा सवाल यही है कि 17 मई के बाद क्या होगा।
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