नई दिल्ली। केंद्रीय सरकार के आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार (29 सितंबर) को मिड-डे मील स्कीम (मध्याह्न भोजन योजना) की जगह पीएम पोषण योजना को मंजूरी दी है। यानी अब मिड-डे मील की जगह पीएम पोषण योजना लेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि मिड-डे मील स्कीम की जगह नई योजना की क्या जरूरत थी ? कल जब योजना के बारे में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था, तो उन्होंने कहा नई पॉलिसी के जरिए स्कूली बच्चों के पोषण स्तर को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए सरकार ने क्या बदलाव किए हैं, साथ में उसको कैसे अमल में लाया जाएगा, आइए जानते हैं स्कीम का A to Z
क्या हुए अहम बदलाव
बचे फंड का भी होगा इस्तेमाल ?
अभी कक्षा एक से आठ तक स्कूली बच्चों को प्रति दिन 100 ग्राम और 150 ग्राम अनाज दिया जाता है, जिससे उन्हें न्यूनतम 700 कैलोरी मिल सके। नई योजना में आकांक्षी जिलों और जिन जिलों में एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में यदि कोई राज्य पोषकता बढ़ाने के लिए गेहूं, चावल, दाल, सब्जियों के अलावा अंडे, दूध आदि को जोड़ेगा, तो उसका इस्तेमाल राज्य केंद्र के फंड से होने की उम्मीद है, अभी ऐसी व्यवस्था नहीं थी।
योजना पर अगले 5 साल में केन्द्र सरकार 54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों के जरिए 31,733.17 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा केन्द्र सरकार खाद्यान्न पर करीब 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी। इस प्रकार योजना का कुल बजट 1,30,794.90 करोड़ रुपये होगा।
मिलेंगे फोर्टिफाइड फूड ?
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्ष गांठ पर, देश में कुपोषण को दूर करने के लिए, सरकार की सभी प्रमुख राशन वितरण योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल देने का ऐलान किया था। ऐसे में आकांक्षी जिलों और ऐसे जिले जिनमें एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पर फोर्टिफाइड चावल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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