नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक मुस्लिम व्यक्ति की हिंदू भीड़ द्वारा पीटे जाने की वायरल फोटो का इस्तेमाल अब आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने अपने प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इस्लामिक स्टेट ने एक पोस्टर में इस हिंसा को सही ठहराते हए मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की है। दिल्ली में हुई हिंसा में अभी तक 43 लोगों की मौत हो गई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है तस्वीर
वैश्विक आतंकी संगठनों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था 'एसआईटीई इंटेलीजेंस ग्रुप' के अनुसार, मुस्लिम युवक पर हमला करती एक भीड़ की तस्वीर आईएस के सोशल मीडिया ग्रुप्स पर वायरल हो रही है और इस्तेमाल वह हिंसा को भड़काने के लिए कर रहा है। यह पहली बार नहीं है जब आईएस भारत में अपनी जड़ें जमाने के लिए ऐसी तस्वीरों और वीडियो का इस्तेमाल कर रहा है।
रॉयटर्स ने ली थी तस्वीर
आईएस जिस तस्वीर का इस्तेमाल कर रहा है उसे अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दिकी ने क्लिक किया था और इसका कैप्शन लिखा गया, "दिल्ली में सीएए समर्थकों द्वारा एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटा जा रहा है"। ये उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों की सबसे विचलित करने वाली तस्वीर है। चांद बाग की इस तस्वीर में हिंसक प्रदर्शनकारियों को बेबस जमीन पर पड़े मोहम्मद जुबैर पर लाठी और डंडे बरसाते हुए देखा जा सकता है और उनके सफेद कपड़े खून से लाल हो चुके हैं। गनीमत ये रही कि जुबैर की जान बच गई।
उकसाने के लिए कर रहा है तस्वीरों का इस्तेमाल
दरअसल आईएस की इस हरकत का खुलासा तब हुआ जब जब आईएस ने अपनी एक मैगजीन लॉन्च की और इसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा फोटो का इस्तेमाल किया जिसमें मुसलमानों को राष्ट्रवाद के विचार को खारिज करने और इसके बजाय खिलाफत में शामिल होने का आग्रह किया गया है। इस बीच, सुरक्षा एजेंसियां आईएस के टेलीग्राम चैनलों की निगरानी कर रही हैं। आईएस ने हमेशा से अल्पसंख्यक समुदाय को उकसाने के लिए इस तरह की तस्वीरों का इस्लेमाल करता रहा है।
जाफराबाद में हुआ था आईएस मॉड्यूल का भंडाफोड़
पिछले साल दिसंबर में, दिल्ली के हिंसा प्रभावित जाफराबाद में NIA ने छापेमारी की थी और आईएस से प्रभावित पांच लोगों को अरेस्ट किया था जिसमें इंजीनियरिंग का छात्र भी शामिल था। आईएस भारत में धमाके करने के अलावा और शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को निशाना बनाने की योजना बना रहा था। मॉड्यूल के मास्टरमाइंड की पहचान दिल्ली के जाफराबाद निवासी मुफ्ती मोहम्मद सुहैल के रूप में की गई, जो उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की एक मस्जिद में काम करता था।
छापे के दौरान, एनआई ने रिमोट से नियंत्रित बम बनाने की सामाग्री,134 मोबाइल फोन सिम कार्ड, 112 अलार्म घड़ियां और 25 किलो से अधिक कैमिकल बरामद किया था। इसके अलावा, एक रॉकेट लांचर और 13 पिस्तौल भी जब्त किए गए। एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार, समूह फिदायीन हमलों को अंजाम देने की योजना बना रहा था।
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