नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया है। लोगों में खौफ पैदा हो गया है, वे डर रहे हैं। इस बीच एअर इंडिया की एक फ्लाइट से 129 यात्री काबुल से दिल्ली आए हैं। वहां से आए लोगों ने हालातों के बारे में बताया है। पूर्व सांसद और पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के रिश्तेदार जमील करजई ने कहा कि जब मैंने शहर छोड़ा तो काबुल पर तालिबान का कब्जा था। मुझे लगता है कि एक नई सरकार होगी। जो कुछ भी हुआ है वह अशरफ गनी की वजह से हुआ है। उसने अफगानिस्तान को धोखा दिया। लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।
वहीं काबुल से दिल्ली पहुंची एक महिला ने रोते हुए कहा, 'मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि दुनिया ने अफगानिस्तान को छोड़ दिया है। हमारे दोस्त मारे जा रहे हैं। वे (तालिबान) हमें मारने जा रहे हैं। हमारी महिलाओं के पास और अधिकार नहीं हैं।'
दिल्ली पहुंचने के बाद अफगान राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार रिजवानुल्ला अहमदजई ने कहा, 'अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में शांति है। मंत्रियों जैसे लगभग सभी राजनीतिक व्यक्ति काबुल छोड़ चुके हैं। करीब 200 लोग दिल्ली आ चुके हैं। मुझे लगता है कि यह नया तालिबान है जो महिलाओं को काम करने देगा।' अफगान सांसद अब्दुल कादिर जजई ने कहा कि अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ। यह सिर्फ एक हैंडओवर प्रक्रिया थी। अब काबुल में स्थिति शांत है। पाकिस्तान तालिबान के करीबी समर्थकों में से एक है। मेरा परिवार अभी भी काबुल में है।
पख्तिया प्रांत के सांसद सैयद हसन पख्तियावल ने कहा कि मैं देश नहीं छोड़ना चाहता। मैं यहां एक बैठक के लिए आया था। मैं अफगानिस्तान वापस जाऊंगा। वहां स्थिति वास्तव में खराब है, खासकर आज रात वास्तव में बहुत खराब है।
इस बीच तालिबान कमांडरों का कहना है कि उन्होंने अफगान राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद का कहना है कि लूट और अराजकता को रोकने के लिए उनकी सेना काबुल के कुछ हिस्सों में प्रवेश करेगी और उन चौकियों पर कब्जा कर लेगी जिन्हें सुरक्षा बलों ने खाली करा लिया है। शहर में उनके प्रवेश को लेकर उन्होंने लोगों से घबराने को नहीं कहा।
इसके अलावा भारत ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी के बाहरी इलाके में तालिबान लड़ाकों के प्रवेश करने की खबरों के बाद डर और दहशत से घिरे काबुल से अपने सैकड़ों अधिकारियों और नागरिकों को निकालने के लिए आपात योजना बनाई है। मामले पर नजर रख रहे लोगों ने कहा कि सरकार भारतीय दूतावास में अपने कर्मचारियों और काबुल में भारतीय नागरिकों के जीवन को जोखिम में नहीं डालेगी और आपातकालीन निकास योजनाओं को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है।
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