नई दिल्ली: अफगानिस्तान के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है क्योंकि तालिबान ने काबुल में आगे बढ़ने की बात कही है। वहीं तालिबान कमांडरों का कहना है कि उन्होंने अफगान राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद का कहना है कि लूट और अराजकता को रोकने के लिए उनकी सेना काबुल के कुछ हिस्सों में प्रवेश करेगी और उन चौकियों पर कब्जा कर लेगी जिन्हें सुरक्षा बलों ने खाली करा लिया है। वह लोगों से कहता है कि वे शहर में उनके प्रवेश को लेकर घबराएं नहीं।
HCNR के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अफगान बलों से सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करने को कहा है। वह तालिबान से काबुल शहर में प्रवेश करने से पहले बातचीत के लिए कुछ समय देने के लिए कहा। उन्होंने अशरफ गनी को 'पूर्व राष्ट्रपति' कहा और कहा कि गनी ने देश छोड़ दिया है।
इस बीच अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने योजना बना ली है। भारत सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए C-17 ग्लोबमास्टर को स्टैंडबाय पर रखा है। इसके अलावा एअर इंडिया की फ्लाइट 129 भारतीयों को लेकर काबुल से दिल्ली पहुंची है। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने काबुल में अपने दूतावास को बंद कर दिया है और अपने नागरिकों को काबुल ने निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। ब्रिटेन ने 3000 नागरिकों को निकालने के लिए 600 सैनिकों को काबुल भेजा है।
दिल्ली में रह रहे अफगान नागरिक चिंतित हैं। जंगपुरा में रहने वाले हिदायतुल्ला कहते हैं, 'नेता भाग रहे हैं और नागरिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मैंने अपने दोस्तों से बात की है जिन्होंने मुझे बताया कि तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया है। हाल ही में इस युद्ध के कारण मैंने अपने चचेरे भाई को खो दिया है।' अब्दुल काजीर कहते हैं, 'मेरे रिश्तेदार हेरात, अफगानिस्तान में रहते हैं। वहां सब कुछ बंद है। कोई शांति नहीं है। महिलाओं और लड़कियों को बिना बुर्का पहने बाहर जाने की इजाजत नहीं है। हम आजादी चाहते हैं।'
लाजपत नगर की एक दुकान के मालिक अहमद कहते हैं, 'हालात दिनों दिन खराब होते जा रहे हैं। हमें अपने परिवारों की चिंता है जो अफगानिस्तान में रह रहे हैं। अल्लाह हमें सुरक्षित रखे।' नदीम ने कहा कि हम यहां दिसंबर 2015 में आए थे। तालिबान ने अफगानिस्तान के अधिकांश प्रांतों पर कब्जा कर लिया है। मेरे परिवार ने मुझे सुबह बताया कि काबुल में कोई गोलीबारी नहीं हुई है।
वहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के अफगान छात्र चाहते हैं कि उनका भारत में प्रवास बढ़ाया जाए। जलाल-उद-दीन ने कहा, 'मेरा वीजा अगले महीने समाप्त हो जाएगा। मेरा अनुरोध है कि मेरे वीजा को लंबी अवधि के लिए बढ़ाया जाए। मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। अफगान के अन्य छात्र भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं।' जेएनयू के छात्र अली असगर ने कहा कि मैं अफगानिस्तान में एक अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हूं। मैं बामयान प्रांत से हूं। यह सबसे शांतिपूर्ण और सुरक्षित प्रांत था। आज मैंने सुना है कि उन्होंने (तालिबान) मेरे प्रांत पर नियंत्रण कर लिया है। मैं महिलाओं और अल्पसंख्यकों के भविष्य के बारे में चिंतित हूं।