विपक्ष पर बरसे मोदी, बोले- किसानों के लिए सुरक्षा कवच हैं कृषि बिल, कुछ लोग बोल रहे हैं उनसे झूठ

देश
किशोर जोशी
Updated Sep 18, 2020 | 14:53 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार को केंद्र की तरफ से कई सौगातें दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोकसभा में जो बिल पारित हुआ है उससे किसानों को बंधनों से मुक्ती मिलेगी।

 Agriculture bills passed by Lok Sabha are historic, a protection shield for farmers says PM Modi
पीएम मोदी बोले- किसानों के लिए सुरक्षा कवच है कृषि विधेयक 
मुख्य बातें
  • दशकों तक सत्ता में रहे लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं- मोदी
  • किसान देख सकते हैं कि कौन बिचौलियों के साथ खड़ा है और उनके नए अवसरों का विरोध कर रहा है : मोदी
  • मोदी बोले- किसानों के लिए इतना किसी सरकार ने किया, जितना राजग ने पिछले छह साल में किया है

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आज पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार को कई योजनाओं की सौगात दी। इस दौरान पीएम मोदी ने संसद में पेश कृषि बिलों को लेकर विपक्ष पर तीखा वार किया। पीएम मोदी ने कहा, 'कल विश्वकर्मा जयंती के दिन लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं। इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है। इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प और ज्यादा अवसर मिलेंगे।'

किसानों का सुरक्षाकवच है विधेयक
पीएम मोदी ने कहा कि देश के किसानों को इन विधेयकों के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। पीएम मोदी ने कहा, 'ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं। लेकिन कुछ लोग जो दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वो लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, किसानों से झूठ बोल रहे हैं।'

कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'चुनाव के समय किसानों को लुभाने के लिए ये बड़ी-बड़ी बातें करते थे, लिखित में करते थे, अपने घोषणापत्र में डालते थे और चुनाव के बाद भूल जाते थे। आज जब वही चीजें भाजपा- एनडीए सरकार कर रही है, तो ये भांति-भांति के भ्रम फैला रहे हैं। जिन एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का वो विरोध कर रहे हैं, उसी बदलाव की बात इन लोगों ने अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी। लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने ये बदलाव कर दिया है, तो ये लोग इसका विरोध करने पर, झूठ फैलाने पर उतर आए हैं।'

ये लोग बिचौलियों के साथ हैं खड़े
विधेयक के विरोधियों पर निशाने पर लेते हुए हुए पीएम मोदी ने कहा, 'ये लोग भूल रहे हैं कि देश का किसान कितना जागृत है। वो ये देख रहा है कि कुछ लोगों को किसानों को मिल रहे नए अवसर पसंद नहीं आ रहे। देश का किसान ये देख रहा है कि वो कौन से लोग हैं, जो बिचौलियों के साथ खड़े हैं।अब ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार के द्वारा किसानों को MSP का लाभ नहीं दिया जाएगा। ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ये सरासर झूठ है, गलत है, किसानों को धोखा है।'

किसानों को होगा फायदा
पीएम ने बिल के फायदे गिनाते हुए कहा, 'कोई भी व्यक्ति अपना उत्पाद, दुनिया में कहीं भी बेच सकता है, जहां चाहे वहां बेच सकता है। लेकिन केवल किसान भाई-बहनों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। अब नए प्रावधान लागू होने के कारण, किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में, अपनी मनचाही कीमत पर बेच सकेगा। किसानों के लिए जितना एनडीए शासन में पिछले 6 वर्षों में किया गया है, उतना पहले कभी नहीं किया गया।किसानों को होने वाली एक-एक परेशानी को समझते हुए, एक-एक दिक्कत को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने निरंतर प्रयास किया है।'

किसानों को रहना होगा सतर्क
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'मैं आज देश के किसानों को नम्रता पूर्वक स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं। आप किसी भी तरह के भ्रम में मत पड़िए। इन लोगों से देश के किसानों को सतर्क रहना है। ऐसे लोगों से सावधान रहें, जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया और जो आज किसानों से झूठ बोल रहे हैं। वो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं लेकिन दरअसल वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़कर रखना चाहते हैं। वो लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं, वो लोग किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रहे हैं।'

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि हम एपीएमसी से किसानों को बाहर लाएंगे, eआवश्यक वस्तु अधिनियम में जंग लग गया है, उसे हम बदल डालेंगे।मोदी जी ने ये आज करके दिखाया है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो बिचौलियों की भाषा बोल रहे हैं, किसानों की नहीं।'

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