नई दिल्ली: कृषि संबंधी विधेयक लोकसभा से पारित होते ही मोदी सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया। विपक्ष से लेकर अब सहयोगी दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं खुद किसान भी इस बिल को लेकर आक्रोश में और देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। आखिर इस एग्रीकल्चर बिल में है क्या और क्यों इसका विरोध हो रहा है?
क्या है किसान या एग्रीकल्चर बिल
लोकसभा में सरकार की तरफ से किसानों की हित में एक कदम और आगे बढ़ते हुए तीन विधेयक पास किये गए। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक और कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक। एक-एक करके सबसे पहले इन विधेयकों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप ले लीजिए।
उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक – इसके अंतर्गत सरकार की योजना है कि एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, जहां किसान मन पसंद जगह पर फसल बेच सके। इतना ही नहीं इसके तहत किसान दूसरे राज्यों के लाइसेंस धारक व्यापारियों के साथ भी कर सकते हैं।
कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक – सरकार का दावा है कि इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को नेशनल फ्रेमवर्क मिलेगा। इसका अर्थ ये हुआ कि खेती से जुड़ी सारी समस्याएं किसानों के सिर न होकर उससे कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले पर होगी।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक – इस विधेयक में बदलाव करते हुए सरकार ने अनाज, दाल, तिलहन, आलू, प्याज आदि आवश्यक वस्तुओं को इससे हटा दिया है। क्या है इस विधेयक में ?
फसलों को बेचने के लिए किसानों को मंडी जाना होता था और व्यापारी सीधे मंडी से अनाज खरीदते थे, लेकिन अब इस नए विधेयक के अनुसार व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकते हैं। सरकार ने आलू, प्याज, अनाज, दाल और खाद्य तेल आदि को आवश्यक वस्तु नियम से बाहर कर दिया है। इतना ही नहीं अब केंद्र ने कॉन्ट्रैक्ट कृषि को बढ़ावा देने पर भी काम शुरू कर दिया है।
इन तीनों विधेयकों को लेकर किसानों के मन में उठे असंतोष को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार कई तरह से उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन किसानों के साथ-साथ सरकार के सहयोगी दल भी इस मुद्दे पर सरकार का साथ देते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
क्यों हो रहा है इसका विरोध ?
लोकसभा में कृषि से जुड़े तीनों विधेयक का किसान और राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रही हैं, लेकिन किसानों का आक्रोश पहले अध्यादेश के प्रावधानों से हैं। किसानों की चिंता व्यापार क्षेत्र, व्यापारी और बाजार शुल्क को लेकर है। खासतौर पर किसानों को चिंता सता रही है कि जैसे ही बिल लागू हो जाएगा उनको सरकार की तरफ से मिलने वाली कृषि सुविधाओं के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली को कहीं खत्म न कर दिया जाए। किसानों को डर सता रहा है कि उन्हें बड़े पूंजीपतियों के रहमोकरम पर रहना होगा।
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