जयपुर : सचिन पायलट और बागी विधायकों की वापसी के बाद माना जा रहा था कि राजस्थान की गहलोत सरकार की मुश्किलें कम हो गई हैं लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस सरकार पर से संकट पूरी तरह से टला नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कहा कि वह विधानसभा का सत्र शुरू होने पर गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। राजस्थान में विधानसभा का सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। वहीं, बागी तेवर अख्तियार करने वाले पायलट गुरुवार शाम विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत के आवास पर पहुंचे।
शुक्रवार से शुरू होगा विधानसभा का विशेष सत्र
विशेष सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की घोषणा करते हुए विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा, 'सुलह-समझौता कराने के प्रयासों के बावजूद एक समूह जयपुर की तरफ और दूसरा जैसलमेर की तरफ जा रहा है।' राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि गहलोत सरकार अपने अंतरविरोधों के चलते खुद गिर जाएगी। पूनिया ने कहा, 'वे भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं लेकिन उनके आंतरिक मामलों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।' प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान की एसओजी टीम जो विधायकों को ढंढने के लिए हरियाणा पहुंची थी, वे विधायक अब मुख्यमंत्री गहलोत से मिल रहे हैं लेकिन पुलिस की टीम इन विधायकों से कोई पूछताछ नहीं कर रही है।
सतीश पूनिया ने पूछे सवाल
सतीश पूनिया ने पूछा, 'यदि वे अपराधी हैं तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुले तौर पर उनके साथ बैठक कैसे कर सकते हैं?' क्या विधायकों को वहां से निकालने के लिए मुख्यमंत्री ने एसओजी और एसीबी का गलत इस्तेमाल किया? बता दें कि राजस्थान की सियासत में महीनों दिन से ज्यादा समय तक चलने वाला राजनीतिक संकट पायलट और उनके गुट के समर्थकों के वापस आ जाने से टल गया है। बागी तेवर अख्तियार करने पर कांग्रेस ने पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था।
कोर्ट तक पहुंची पायलट और गहलोत की सियासी लड़ाई
कांग्रेस की यह सियासी लड़ाई पहले राजस्थान हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। कोर्ट का फैसला आने से पहले पायलट मान गए। पायलट के रुख में बदलाव कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद आया। इस दौरान गहलोत ने पायलट पर निजी हमले तक किए। मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट को 'निकम्मा' तक कहा। हालांकि, पायलट ने कहा कि गहलोत उनके बड़े भाई जैसे हैं और वह कभी राजनीति में किसी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करते। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस कभी छोड़ी नहीं थी। कुछ मुद्दों को लेकर उनकी अपनी चिंताएं थीं जिसे दूर करने का आश्वासन पार्टी हाई कमान से मिला है।
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