15 August Special: ये हैं धोरों की कोख से निकले जंगबाज लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह, जिनकी ललकार से दहल गया था चीन और पाकिस्तान

15 August Special: राजस्थान के मरुस्थल के जंगबाज लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह। जिनकी ललकार से चीन और पाकिस्तान दहल गए थे। जनरल सगत सिंह तो नहीं रहे मगर, उनके शौर्य की अमर गाथाओं का बखान आज भी धोरों के लोकगीतों में हो रहा है।

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रेगिस्तान के इस वीर की गाथाएं आज भी हैं जिंदा  |  तस्वीर साभार: Facebook
मुख्य बातें
  • अपनी हिम्मती सोच से चार हजार फीट चौड़ी मेघना नदी पर खड़ा कर दिया था पुल
  • लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह की अगुवाई में भारतीय सैनिकों ने तीन सौ चीनी सैनिक मार गिराए
  • शौर्य की अमर गाथाओं का बखान आज भी धोरों के लोकगीतों में हो रहा

15 August Special: राजस्थान की मिट्टी में अनेक वीरों के अदम्य साहस की कहानियां गूंजती हैं। उनमें से एक हैं राजस्थान के मरुस्थल के जांबाज लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह। जिनकी ललकार से चीन और पाकिस्तान दहल गए थे। लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह तो नहीं रहे लेकिन उनके शौर्य की अमर गाथाओं का बखान आज भी धोरों के लोकगीतों में हो रहा है। लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह का जन्म राजस्थान के चूरू जिले में स्थित गांव कुसुमदेसर में 14 जुलाई 1919 को हुआ था। 

देश के लिए मर मिटने का साहस उन्हें विरासत में मिला था। उनके पिता ठाकुर बृजपाल सिंह ने खुद तत्कालीन बीकानेर स्टेट की कैमल कोर में अपनी सेवाएं दी थी। उन्होंने गुलाम भारत की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध भी लड़ा था। जनरल सिंह की आरंभिक शिक्षा बीकानेर रियासत के वॉल्टर्स नोबल स्कूल में हुई थी। जनरल सिंह तत्कालीन बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह की गंगा रिसाला फौज में दाखिल हुए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आजाद भारत की सेना में लेफ्टिनेंट जनरल बने। 

बदल दिया पाकिस्तान का भूगोल

साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 93 हजार युद्ध बंदियों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। इस गौरवशाली  पल पर लिए गए फोटो में जनरल जगजीत अरोड़ा के साथ जनरल सगत सिंह भी नज़र आ रहे हैं। जनरल सगत सिंह बांग्लादेश की बुनियाद की पॉलिसी के प्रमुख सूत्रधार रहे।  उस समय भारतीय फौज की कोर 4 के हैड जनरल सिंह ने सेना के पहले हेलीबोर्न ऑपरेशन की सफल आधारशिला रखी थी। जबकि फौज के पास संसाधनों की निहायत कमी थी। कतारों में भारतीय फौज को धूल चटाने की फिराक में खड़ी पाकिस्तान की फौज को ठेंगा दिखा दिया। ऐसे में जनरल सिंह ही थे, जिन्होंने अपनी सोच से चार हजार फीट चौड़ी मेघना नदी पर पुल खड़ा कर दिया था। जिसके चलते हिंद की फौज के जांबाज सिपाहियों ने ढाका की सरजमीं पर अपने पांव रखे। इसे उनकी हिम्मत की नजीर ही कहा जाएगा कि फौज के आला अधिकारियों से सैनिकों की टुकड़ी को वापिस हिंदुस्तान लाने के आदेश मिले। मगर उन्होंने किसी की एक ना सुनी और इसी के साथ आखिर पाकिस्तान का भूगोल बदल डाला। 

तीन सौ चीनी मार गिराए, फौज का हौसला बढ़ा

आजादी के बाद देश को 1962 व 65 के युद्धों में चीन ने दर्द दिया था। मगर 1967 में जनरल सगत सिंह के सिखाए गए सबक आज भी चाइना को याद हैं। एक साथ तीन सौ चीनी सैनिकों को मार गिराया। इसके बाद भारतीय सैनिकों का हौसला परवान चढ़ा। दरअसल उस वक्त चीन सिक्किम की तरफ बढ़ रहा था। इस बीच सीमा पर बाड़ बंदी कर रहे भारतीय फौजियों पर चीनी सैनिकों ने फायरिंग कर दी। बस यही गलती चीनियों पर भारी पड़ गई। इसके बाद जनरल सगत सिंह की अगुवाई में भारतीय सैनिकों ने ऐसा जवाब दिया कि तीन सौ चीनी सैनिक मार डाले। इसके अलावा चीनी सेना के एमुनेशन के अलावा अन्य साजो - सामान बड़े पैमाने पर खत्म कर दिया। जनरल सिंह के रण कौशल में एक किस्सा ये भी मशहूर है कि गोवा में पैराशूट के जरिए फौजी उतार कर उसे पुर्तगाल के कब्जे से आजाद करवाया था। उस वक्त जनरल सिंह पर पुर्तगाल सरकार ने 10 हजार डॉलर का इनाम रखा था। 

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