Jaipur Kidnapping Case Disclosed: राजधानी जयपुर में चार दिन पहले प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल से चोरी हुए चार माह के मासूम दिव्यांश को आखिरकार पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद मुहाना इलाके में स्थित पवन विहार से बरामद कर लिया है। पूरे मामले का पर्दाफाश करने में लगातार चार दिन में 150 पुलिसकर्मी, 8 डीएसपी स्तर के 3, आईपीएस स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में गठित पुलिस टीमों ने हजारों मोबाइल नंबर और 300 के करीब सीसीटीवी फुटेज खंगाले। वहीं प्रदेश के टोंक, मालपुरा, दौसा और मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान के कई एरिया में दबिश भी दी। पुलिस के मुताबिक सोशल मीडिया एक बार फिर पुलिस की तारणहार बनीं। भरतपुर के रहने वाले आरोपी हेमेंद्र की फोटो के साथ सूचना का पोस्टर सोशल मीडिया के जरिए 20 लाख से ज्यादा बार वायरल हुआ।
इस बीच राजधानी के महेश नगर थाने के सिपाही भीम सिंह व देवराज को किसी ने जानकारी दी कि, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्टर में दिखाई दे रहे शख्स के जैसे एक व्यक्ति चौखटी पर आता था, मगर वह गत दो-तीन दिनों से यहां नहीं आ रहा है। बस यहीं से पुलिस का सुराग लगा। अरोपी का मोबाइल नंबर हासिल कर पुलिस ने उसे कॉल किया तो उसन खुद को भरतपुर में होना बताया। जबकि पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस की तो मानसरोवर में आई। पुलिस ने अरोपी की चार दिनों की लोकेशन की जानकारी निकाली तो उसमें से दो दिन एसएमएस अस्पताल परिसर की आई। इसके बाद पुलिस का शक पुख्ता हो गया। इसके बाद पुलिस की टीम ने उसके घर पर दबिश दी व दबोच लिया।
एसीपी अजयपाल लांबा ने बताया कि, पेशे से मजदूर आरोपी हेमेंद्र ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि, उसके पहले से तीन बेटियां हैं। घर के चिराग की आस थी। उसने पुलिस को बताया कि, गत छह माह से एक वर्ष की आयु से लेकर छह माह तक के बच्चे को चुराने के लिए वह जयपुर के रेलवे स्टेशन व सिंधी कैंप बस अड्डे पर डेरा जमाए था। लगातार रेकी कर रहा था, मगर सफल नहीं हुआ। यही वजह थी कि, बाद में आरोपी हेमेंद्र एसएमएस अस्पताल आया। इसके बाद वह शिकार की तलाश कर रहा था, इस दौरान उसे दौसा का कालूराम दिखा। एसीपी के मुताबिक आरोपी ने कालूराम का भरोसा जीता फिर उसके कलेजे के टुकड़े को उठा ले गया। एसीपी प्रथम अजयपाल लांबा ने बताया कि, बच्चा चोरी करने के आरोप में भरतपुर जिले के नदबई निवासी हेमेंद्र (29) को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी मानसरोवर इलाके में रहता है। मजदूरी करने के लिए वह रोजाना मानसरोवर वीटी रोड चौराहे पर जाता था। बच्चा चुराने के बाद वह मजदूरी करने के लिए वीटी चौराहे पर नहीं जा रहा था।
डीसीपी राजीव पचार ने बताया कि, पुलिस टीम जब आरोपी के घर पहुंची तो मासूम दिव्यांश उसकी पत्नी की गोद में था। इसके बाद बच्चे को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। डीसीपी ने बताया कि, दिव्यांश को जैसे ही उसकी दादी की गोद में दिया तो परिजनों की आंखे छलक उठी। कलेजे के टुकड़े का अपहरण होने के बाद चार दिनों से बेसुध उसकी मां के चेहरे पर खुशी की मुस्कान लौट आई। वहीं बड़े पौत्र का कई दिनों से टल रहा ऑपरेशन भी सफल हो गया। अब पुलिस पूरे प्रकरण में कितनों लोगों की भूमिका रही है, इसका पता लगाने में जुटी है।
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