Jaipur News: जयपुर के अस्पताल में लापरवाही से नवजात बच्चों का बदलाव, अब लड़की लेने को तैयार नही दोनों परिवार

Capital Jaipur: जयपुर के अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा दो नवजात मासूम भुगत रहे हैं। मासूम बच्चों को पैदा होने के बाद मां का दूध नसीब नहीं हो रहा है। दो महिलाओं की महिला अस्पताल में डिलीवरी के बाद हुए बदलाव से दोनों के परिजन बच्चे को लेने से मना कर रहे हैं। नवजात में एक लड़का है दूसरी लड़की। दोनों के परिजन लड़के पर अपना दावा कर रहे हैं।

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जयपुर में अस्पताल की लापरवाही से बदले गए नवजात बच्चे, डीएनए टेस्ट होगा  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • जयपुर के सांगानेरी गेट के महिला अस्पताल का है मामला
  • विवाद काफी बढ़ने के बाद लिया गया डीएनए टेस्ट करने का निर्णय
  • मामला बढ़ने पर पुलिस के पास पहुंचा प्रकरण

Children Change Case In Jaipur:  राजधानी जयपुर के सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में बच्चे बदलने का मामला प्रकाश में आया है। हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही से हुई इस अदला-बदली के बाद विवाद इतना बढ़ गया है कि प्रशासन को बच्चों के परिजनों को संतुष्ट करने के लिए उनका डीएनए टेस्ट करवाना पड़ेगा। बता दें कि डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा की कौन सा बच्चा किस माता-पिता की संतान है। अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह का ये पहला मामला है जब इसे सुलझाने के लिए डीएनए टेस्ट करवाने की तैयारी हो रही है।

बता दें कि हॉस्पिटल की सुप्रीटेंडेंट डॉ. आशा वर्मा ने बताया है कि एक सितम्बर को जयपुर के घाटगेट निवासी रेशमा और करौली की रहने वाली निशा की डिलीवरी अस्पताल में हुई थी। इस दौरान दोनों बच्चों के टैग को लेकर गलतफहमी हो गई और बच्चों की अदला-बदली हो गई। तीन दिन बाद यानी 3 सितम्बर शनिवार को हॉस्पिटल प्रशासन को इस बड़ी गलती का पता चला तो उन्होंने दोनों बच्चों के परिजनों को इस मामले की सूचना दी। इस बात पर रेशमा के परिजन काफी आक्रोशित हो गए और उन्होंने बच्ची को लेने से मना कर दिया। इस विवाद के बाद दोनों नवजात बच्चों को अस्पताल की नर्सरी में रखा गया और मामले को सुलझाने के लिए 6 डॉक्टर्स की एक कमेटी गठित की गई।

ब्लड टेस्ट रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं परिजन

मिली जानकारी के अनुसार इस मामले को सुलझाने के लिए पहले तो अस्पताल के प्रशासन ने दोनों बच्चों और उनके माता-पिता के ब्लड का सैंपल लिया। उसकी जांच के आधार पर निर्धारित किया गया कि लड़का निशा का है और लड़की रेशमा की है। ब्लड सैंपल की इस जांच रिपोर्ट को रेशमा के परिजनों ने मानने से मना कर दिया। उसके बाद जांच कमेटी ने दोबारा खून की जांच करवाई, तब भी रिपोर्ट के आधार पर लड़की रेशमा की निकली और लड़का निशा का ही साबित हुआ। बता दें कि इस बार भी रेशमा के परिजनों ने बच्ची को अपनाने से मना कर दिया था और डीएनए टेस्ट की मांग करने लगे।

पुलिस कराएगी डीएनए टेस्ट

डॉ. वर्मा ने बताया है कि जांच कमेटी की ब्लड रिपोर्ट आने के बाद भी परिजन तैयार नहीं हुए तो कमेटी ने डीएनए टेस्ट की सिफारिश कर दी। इसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने लालकोठी थाना पुलिस को मामला भेज दिया है और डीएनए जांच भी अब पुलिस ही करवाएगी। डॉक्टर्स का कहना है कि विवाद को हल करने का अब डीएनए टेस्ट ही एकमात्र विकल्प बचा है। आपातकालीन स्थित में भी यह जांच की रिपोर्ट 4-7 दिन बाद आएगी। इस दौरान बच्चों को अब अस्पताल प्रशासन की निगरानी में हॉस्पिटल स्थित नर्सरी में रखा गया है। जहां से दोनों नवजात बच्चों को मदर मिल्क बैंक से दूध लेकर पिलाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि एक महिला रेशमा के पहले से 2 लड़कियां हैं, जबकि दूसरी निशा का पहले से एक लड़का है।

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