जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज राज्यपाल से मुलाकात करने से पहले राजभवन और बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद सीएम गहलोत राज्यपाल से मिले। विधायकों को साथ लेकर राजभवन पहुंचे CM गहलोत के बाकी विधायक राजभवन के बाहर पार्क में बैठे हैं। अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल पर दवाब डाला जा रहा है जिसकी वजह से वो विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं। वहीं राज्यपाल की तरफ से कहा गया है कि कई विधायक भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और कोरोना महामारी की वजह से अभी विधानसभा का सत्र बुलाना ठीक नहीं होगा। मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत है और बीजेपी ने हमारे विधायकों को बंधक बनाया हुआ है।
अपने विधायकों को लेकर राजभवन रवाना हुए गहलोत
स्पीकर सीपी जोशी के अयोग्यता नोटिस मामले पर स्टे लगने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने विधायकों को लेकर राजभवन के लिए रवाना हुए हैं। मुख्यमंत्री राज्यपाल कलराज मिश्र के समक्ष अपने विधायकों की परेड कराना चाहते हैं और यह बताना चाहते हैं कि उनके पास बहुमत है। मुख्यमंत्री गहलोत के साथ इस काफिले में करीब 50 कारें और चार से पांच बसे शामिल हैं। साल 1991 में भैरो सिंह शेखावत के समय में भी इसी तरह की घटना हुई थी। गहलोत ने गर्वनर पर दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। गहलोत सोमवार से विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं।
राज्यपाल पर दवाब- गहलोत
मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा, 'हमने कैबिनेट के फैसले के बाद में हमने माननीय राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि वो विधानसभा सत्र को बुलाएं और तमाम स्थितियों की चर्चा की। हमें उम्मीद थी कि वो रात को आदेश जारी कर देंगे विधानसभा सत्र बुलाने की। ये हमारे समझ से परे कि साधारण प्रक्रिया को क्यों रोका जा रहा है। हमारा मानना है कि ऊपर से दवाब के कारण से वो मजबूरी में अभी एसेंबली बुलाने के लिए निर्देश नहीं दे रहे हैं। इस बात का हमें बहुत दुख है। जब हम फ्लोर पर जाना चाहते हैं, विपक्ष से लेकर ज्यूडिशरी तक सवाल कर रहे थे।'
राज्यपाल से निवेदन
गहलोत ने आगे कहा, 'आज हम जब हम एसेंबली बुलाने को तैयार हैं तो बुलाई नहीं जा रही है। सारे प्रदेश की जनता ये देखकर दुखी है, व्यथित है। कभी परंपरा रही नहीं है इस तरह से तोड़फोड़ कर सरकार गिराने की। ये मैंने आपको पहले भी कहा था कि दो मौके पहले भी भैरों सिंह शेखावत की सरकार गिराने के, तब मैं खुद गया तत्कालीन पीएम वीपी नरसिम्हा राव के पास में और कहा कि ये परंपरा ठीक नहीं है हम साथ नहीं देंगे। तब मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी था।'
गहलोत ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा, 'दुख इस बात का है कि कल रात तक फैसला नहीं हुआ। मैंने आज फिर टेलीफोन पर बातचीत की और रिक्वेस्ट किया कि कृपा कर के आपका संवैधानिक पद है जिसकी अपनी गरिमा होती है उसका पालन करें। वरना हमारे सब विधायकगण आपसे आकर निवेदन करेंगे कि कृपा करके आप तुरंत अपना फैसला दें। हम एसेंबली सोमवार से बुलाना चाहते हैं। वहां दूध का दूध औऱ पानी का पानी हो जाएगा। पूरा देश देखेगा और पब्लिक तथा मीडिया के सामने आएगा।'
बीजेपी ने बनाए बंधक
बीजेपी पर आरोप लगाते हुए गहलोत ने किया, 'समझ से परे है कि उनके ऊपर किस तरह का दवाब पड़ रहा है। पर किन कारणों से ये रोका ये समझ नहीं आ रहा है। हमारे पास तो पूर्ण बहुमत है लेकिन परेशान वो हो रहे हैं। हमारे कुछ साथी जिन्हें हरियाणा के अंदर बंधक बनाया हुआ है उन्हें बीजेपी की देखरेख में ही बंधक बनाया हुआ है। वो हमारे अपने साथी हैं। वहां पुलिस लगा रखी है। टेलीफोन छीन लिए गए हैं उनके, बीमार हैं। वो रो रहे हैं कह रहे हैं कि हमें छुड़ाओं यहां। विधायक हमारे साथ हैं।'
तो फिर हम नहीं होंगे जिम्मेदार
धमकी भरे अंदाज में गहलोत ने कहा, 'लोकतंत्र खतरे में है। सीबीआई, ईडी के छापे पड़ रहे हैं। ऐसा नंगा नाच आज तक देश में देखने को नहीं मिला। मैं कहना चाहूंगा महामहिम राज्यपाल से कि हम सब आ रहे हैं अभी सब एक साथ राजभवन के अंदर सबसे सामहूकि रिक्वेस्ट करेंगे कि आप दवाब में ना आएं क्योंकि आपका संवैधानिक पद है और आपने शपथ ले रखी है। अपनी अंतरआत्मा के आधार पर संविधान के अनुरूप फैसला करें। वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो फिर हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।'
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