Power Crisis in Rajasthan: बिजली संकट से नहीं उबर पा रहा राजस्थान, ये कैसा अघोषित अलर्ट!

जयपुर समाचार
भंवर पुष्पेंद्र
Updated Aug 31, 2021 | 09:40 IST

राजस्थान में महंगी बिजली का हवा देकर सरकार ने हाथ खड़े कर लिए हैं। गांव में बिजली की कटौती जबरदस्त हो रही है तो कस्बों में 5 से 6 घंटे का ब्लैकआउट हो रहा है।

Power crisis in Rajasthan, shortage of coal near thermal plant, Suratgarh thermal plant, Kalisindh thermal plant, Kota and Chhabra thermal plant,
कोयले की कमी की वजह से राजस्थान में बिजली उत्पादन पर असर 
मुख्य बातें
  • सूरतगढ़, कालीसिं थर्मल प्लांट के बाद कोटा और छबड़ा थर्मल प्लांट के पास कोयले की कमी
  • बिजली उत्पादन कम होने से गांवों और कस्बों में भीषण कटौती
  • ऊर्जा मंत्री बी डी कल्ला ने दिया भरोसा--हालात जल्द हो जाएंगे सामान्य

सूरतगढ़ और कालीसिंध इकाइयों के ठप हो जाने के बाद अब कोटा थर्मल और छबड़ा थर्मल प्लांट में भी सिर्फ 2 दिन का ही कोयले का स्टॉक बचा हुआ है, अगर हालत नहीं सुधरे तो यह स्टॉप भी खत्म होने के बाद बिजली का उत्पादन यहां भी ठप हो सकता है। ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला ने कहा है की एग्रीमेंट के हिसाब से कोयले की सप्लाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया ( एनसीएल और एसईसीएल) से 170 लाख मैट्रिक टन वार्षिक कोयला सप्लाई का एग्रीमेंट हुआ था जिसकी रोजाना 11.5 रैक मिलनी चाहिए लेकिन प्रतिदिन केवल 3 रैक ही मिल पा रही है, ऐसे में डिमांड अधिक है और सप्लाई कम हो रही है। लेकिन मंत्री ने यह भी दावा किया है कि 1 हफ्ते में हालात सामान्य हो जाएंगे, मंन्त्री बीड़ी कल्ला ने कोयला खदानों से ट्रकों के जरिये कोयला लाने का इंतजाम करने की बात का दावा किया है।

कोयले की सप्लाई कम होने से यह हो रहा असर
कालीसिंध की दो यूनिट और सूरतगढ़ की 6 यूनिट के साथ कवाई स्थित अदानी थर्मल प्लांट की 600 मेगावाट की यूनिट बंद है। बता दें कि कोटा थर्मल पावर प्लांट की 6 यूनिट भी 70% क्षमता पर ही चल रही है। बिजली घरों में सिर्फ 3 से 4 दिन का ही कोयला बचा है ऐसे में यह संकट और गहरा सकता है। कोयले की किल्लत से 34 मेगावाट की यूनिट ठप हो चुकी है तो कई बंद होने के कगार पर हैं।

यह है असली वजह
बिजली यूनिटों के बंद होने और कोयले की कमी का एक प्रमुख कारण बारिश का कम होना और डिमांड का बढ़ना भी है कई यूनिट मेंटेनेंस पर है तो वहीं विभाग की खराब प्लानिंग थी इसकी जिम्मेदार है बारिश कम होने से घरेलू और बिना घरेलू और कृषि क्षेत्र में बिजली की डिमांड बढ़ी है हर साल अगस्त में बिजली की खपत 20 करोड़ यूनिट प्रतिदिन रहती है लेकिन इस बार वह बढ़कर 31 करोड़ यूनिट पहुंच गई है 19 अगस्त को लोड भी 14690 मेगा वाट रहा जो अब तक का सबसे ज्यादा लोड है विभाग के अधिकारियों का को प्रबंधन इसका प्रमुख जिम्मेदार रहा है।

कोयला संकट और ओपन मार्केट में रेट ज्यादा होने से अगले 10 दिन तक बिजली का संकट राजस्थान में गहरा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि कस्बों और गांवों के लोगों को 5 से 7 घंटे की अघोषित बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है ।हालांकि अभी लगातार तीन दिन की छुट्टियां रहने की वजह से डिमांड कम रही और लोड कंट्रोल में रहा है लेकिन अभी तक कोयला पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचने के कारण अब 15000 मेगावाट से ज्यादा डिमांड होने की आशंका है ।ऐसे में मार्केट में महंगी बिजली का बहाना करके हाथ खड़े करने वाली सरकार अब बारिश होने से राहत की उम्मीद लगाए बैठी है।

कहीं अंधेरे की तरफ ना ले जाएं सरकारी दावे सरकार की तरफ से दावत तो यह किया गया था कि सामान्य दिनों में एक्सचेंज में बिजली रेट ₹607 प्रति यूनिट होती है लेकिन अब वही दावा धराशाई हुआ और यह रेट ₹20 तक पहुंच गई एक्शन से खरीद की औसत दर ₹304 से बढ़कर ₹10 हो गई बिजली कमी से नॉर्दन गेट की सुरक्षा के लिए नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने ओवर ड्रा की अनुमति ही नहीं दी ।

यहां से मिली थोड़ी राहत
राजस्थान में अंधेरे की आशंका के बीच राहत की बात यह है कि उत्पादन निगम की सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल प्लांट की 660 मेगावाट की यूनिट शुरू हुई है क्योंकि उसका कोयला एक दिन पहले ही मध्यरात्रि को पहुंचा है लेकिन हालात यह हैं कि इन सभी परिणामों के चलते 1.584 करोड़ यूनिट बिजली ही मिल पाएगी और राजस्थान को आने वाले दिनों में अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है।

Jaipur News in Hindi (जयपुर समाचार), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।

अगली खबर