Rajasthan News: राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में बसे चूरू जिले में स्थित एशिया विख्यात तालछापर कृष्ण मृग अभयारण्य इन दिनों मेहमान परिंदों के कलरव से गूंज रहा है। सर्दी के मौसम की शुरूआत होने के साथ ही सेंचुरी में कई प्रजातियों के सैलानी परिदें अपना डेरा डाल रहे हैं। यही वजह है कि, अभयारण्य देश-विदेश के पर्यटकों सहित बर्ड वाचर को आकर्षित कर रहा है।
वन विभाग के मुताबिक, तालछापर अभयारण्य सहित आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय व विदेशी प्रजातियों की करीब 350 प्रजातियां निवास करती हैं। सितंबर माह के मध्य में हल्की ठंड की शुरूआत होने के बाद यहां पर विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की आवक शुरू हो जाती है। यहां पक्षियों के आने का सिलसिला दिसंबर माह तक चलता है। डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि, सितंबर में कुरजां के आगमन के बाद ईगल्स, वल्चर्स सहित कई तरह के शिकारी व अन्य सैलानी पक्षी आए हैं।
डीएफओ सविता दहिया के मुताबिक, इन दिनों अभयारण्य में अफगानिस्तान, रूस, कजाकिस्तान, मध्य एशिया सहित हिमालय के तराई वाले इलाकों से कई प्रजातियों के पक्षी यहां आए हैं। जिनमें मुख्य तौर पर कुरजां (डेमोसिल क्रेन) जो कि यहां आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। फिलहाल कुरजां के कई ग्रुपस ने सेंचुरी के आसपास पड़ाव डाला है। धीरे- धीरे इनकी संख्या बढ़कर करीब 2 हजार तक हो जाएगी। रेंजर उमेश बागोतिया ने बताया कि, अभयारण्य में इस समय सबसे पहले आने वालों में यूरोपियन रोलर, व्हाईट आई बर्ड, ब्लैक ईयरड काइट, लेजर केसटल, हैरियर्स, ईगल्स, लार्क पिपिट, लॉन्ग लैग्ड बजर्ड, कॉमन केस्ट्रल व फ्लेमिंगों सहित कई प्रजातियों के पक्षी बर्ड वाचर्स व पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इसके अलावा आने वाले दिनों में बार हैडेड गीज, स्पूनबिल, ग्रीन पिजन, डव, स्टेपी ईगल, वल्चर्स व कई तरह के शिकारी पक्षी यहां आएंगे।
तालछापर अभयारण्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने को लेकर डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि, इस बार सेंचुरी में कई खास बदलाव किए गए हैं। जिसमें प्रवेश द्वार, सैल्फी प्वाइंट, व टूरिस्ट टैंट बनाए गए हैं। यहां आने वाले पर्यटकों व बर्ड वाचर्स के लिए वॉचिंग टावर बनाया गया है। वहीं पूरे अभयारण्य में 7 सौ परचीज स्टीक लगाई गई है। वहीं आग लगने की घटना को तुरंत रोका जा सके इसके लिए फायर लाइन बनाई गई है। वहीं पर्यटकों के ठहरन के लिए लोकल हॉम मैनेज किया गया है। डीएफओ ने बताया कि, रणथंभौर की तर्ज पर पर्यटकों के लिए जिप्सी की सुविधा भी मुहैया करवाई जाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना बढे़गी। इसके अलावा अभयारण्य में स्थानीय उत्पाद की बिक्री के लिए स्टॉल भी लगेंगे।
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