भंवर पुष्पेंद्र
प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट
जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने राज्य में बिजली आपूर्ति को लेकर शनिवार को कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण राज्य में अघोषित बिजली कटौती है।राजे ने यहां एक बयान में कहा कि गांवों में ही नहीं बिजली कटौती से शहरों में भी लोग परेशान हैं।
इसके अलावा भी कई बिजलीघर बंद है और कई बंद होने की स्थिति में हैं। राज्य में बिजली संकट पैदा हो गया है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोयले का भुगतान नहीं कर रही,इसलिए कोयला मिलना बंद हो गया।
इससे बिजली उत्पादन खासा प्रभावित हुआ है। अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे समय में कोयले का समय पर भुगतान होता था, इसलये कोयले की कमी नहीं रहती थी। बिजली के उत्पादन में भी बाधा नहीं आती थी।
उन्होंने कहा कि आज हालत ये हैं कि अब न आम उपभोक्ता को पर्याप्त बिजली मिल रही और न ही किसानों और उद्योग को। पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार से मांग की कि बिजली नागरिकों की मूलभूत सुविधा है,इसलए पर्याप्त बिजली उपलब्ध करवाई जाये। उल्लेखनीय है कि राजे शनिवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में थीं जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान व हिमाचल के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्लांट को लगातार कोयला रैक का अभाव झेलना पड़ रहा है
प्रदेश की सबसे बड़ी तापीय परियोजना सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर प्लांट में कोयला खत्म हो जाने के कारण 250MW- 250MW की सभी 6 इकाइयां बंद कर दी गई है। हालांकि ऊर्जा मंत्री के दौरे तक यह सभी छह इकाइयां चलाई जा रही थी। परंतु मंत्री का दौरा खत्म होने के बाद एक-एक कर कोयले की कमी बताते हुए इन इकाइयों को बंद कर दिया गया। वर्तमान में केवल 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाई से विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। थर्मल सूत्रों के अनुसार प्लांट को लगातार कोयला रैक का अभाव झेलना पड़ रहा है । रोजाना 6 इकाइयों को चलाने के लिए छह कोलरैक और एक सुपर क्रिटिकल इकाई को चलाने के लिए दो कोलरैक की आवश्यकता होती है। यानी रोजाना अगर आठ कोयला मालगाड़ियां इस थर्मल पावर प्लांट में नहीं पहुंचती है तो समझ लीजिए इकाइयां बंद करने का ही प्रावधान बचता है।
6 इकाइयां बंद हो जाने से 1500 मेगावाट विद्युत का उत्पादन कम हो गया है
वर्तमान में हालत यह है कि 8 तो क्या रोजाना दो कोलरैक भी प्लांट में नहीं पहुंच रहे हैं और बीते 4 दिन से तो सप्लाई बिल्कुल ठप है। ऐसे में थर्मल पावर प्लांट की की 6 इकाइयां बंद हो जाने से 1500 मेगावाट विद्युत का उत्पादन कम हो गया है। हालांकि सूरतगढ़ आये ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में प्रेस वार्ता के दौरान कोयला कंपनियों के 900 करोड रुपए चुकाने तथा कोयला आपूर्ति सामान्य होने के दावे किए थे लेकिन उनका दौरा खत्म हो जाने के बाद से ही कोयले की कमी के चलते सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर प्लांट की एक-एक कर सभी इकाइयां बंद होनी शुरू हो गई। ऐसे में आने वाले दिनों में बीकानेर संभाग समेत प्रदेश में बिजली की कमी होना तय है।
'उत्पादन नही होने से रोजाना करोड़ों का भी नुकसान हो रहा है'
कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दोनो इकाई को कोयले के कमी के चलते बन्द करना पड़ा है जिससे बिजली उत्पादन पर सीधा असर पडा ओर 2 लाख 88 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन बन्द हो गया जिससे सरकार को रोजाना करोड़ो का नुकसान हो रहा है साथ ही उत्पादन नही होने से रोजाना करोड़ों का भी नुकसान हो रहा है, जिले के बिजली उत्पादन को पहला झटका 11 अगस्त को लगा जब थर्मल की पहली यूनिट बंद हुई दूसरा झटका 15 अगस्त को लगा जब थर्मल की दूसरी यूनिट को भी कोयले के चलते बंद करना पड़ा। दोनो यूनिट पिछले 10 दिनो कोयले की कमी के चलते बन्द है ओर अधिकारियों ने इसकी सूचना भी जयपुर भिजवा दी है ओर बताया जा रहा है कि कोयले की कटौती इसलिये की थी कि 350 करोड़ रु बकाया है जिससे कोयले की आपूर्ति बंद हो गई
'कोयले की रेक आ रही है फिर से उत्पादन शुरू होने की सम्भावना'
झालावाड़ कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में दोनो यूनिटों को चलाने के लिए 4 रैक की आवश्यकता 8 हजार एमटी कोयले की जरूरत है लेकिन नहीं मिल रहा है ऐसे में रोजाना दोनो यूनिट में 2 लाख 88 हजार यूनिट बिजली उत्पादन तो बन्द हुआ ही साथ बिजली उत्पादन नही होने से करोड़ो का नुकसान हो रहा है लेकिन फिर उम्मीद जगी है कि कोयला की रेक आ रही है फिर से उत्पादन शुरू होने की सम्भावना है।
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