Agra News: आगरा में जन्म और मृत्यु प्रमाण.पत्र बनवाने वाले दलालों ने नगर निगम के बाद अब जिलाधिकारी कार्यालय में भी सेंध लगा दी है। यहां दलालों की ओर से मजिस्ट्रेट की फर्जी मुहर और हस्ताक्षर से प्रमाण.पत्र बनाने का मामला सामने आया है। मामले पकड़े जाने के बाद डीएम प्रभु एन सिंह ने नगर आयुक्त निखिल टी फुंडे को जांच के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार आगरा के माईथान निवासी राजेश पाठक की मां उर्मिला पाठक की 8 जून 2016 को मृत्यु हो गई थी।
13 जून 2022 को मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया गया। प्रार्थना-पत्र पर मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर व मुहर के साथ 6329 डाक क्रमांक दर्ज था। सत्यापन में पता चला कि इस डाक क्रमांक पर 21 फरवरी को ढोलीखार निवासी शख्स के पुत्र का नाम दर्ज किया गया था। वहीं आगरा सदर भट्टी मंटोला निवासी शख्स ने अपने दो पुत्रों के जन्म प्रमाण.पत्र के लिए आवेदन किया था। सत्यापन में पता चला कि इस डाक क्रमांक पर 1 अगस्त को प्रतापपुरा निवासी शख्स की पुत्री का नाम दर्ज है।
प्रदेशभर में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था है। परंतु जिनके जन्म और मृत्यु को 21 दिन से अधिक समय बीत जाता है, उनके लिए मजिस्ट्रेट स्तर से नियमानुसार कार्यवाही का प्रावधान है। कलेक्ट्रेट में अपर नगर मजिस्ट्रेट इसके नोडल अधिकारी हैं। जहां से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाण.पत्रों को नगर निगम से पंजीकरण के लिए दिया जाता है। बताया जा रहा है कि कुछ दलालों ने प्रार्थना-पत्रों पर मजिस्ट्रेट के फर्जी हस्ताक्षर किए और फर्जी मुहर लगाई। जब सत्यापन के लिए दस्तावेज कलेक्ट्रेट आए तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।
डीएम प्रभु एन सिंह ने कहा कि ऐसे सभी पंजीकरणों का सत्यापन कराया जा रहा है। नगर आयुक्त को जांच के आदेश दे दिया गया हैं। आवेदकों से पूछताछ होगी। फर्जी दस्तावेज से प्रमाण पत्र बनवाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें प्रदेश में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लिए हॉस्पिटल और मोक्षधाम से रिपोर्ट ऑनलाइन पंजीयन पोर्टल पर दर्ज होती है। जिसके आधार पर प्रमाण-पत्र जारी होते हैं। वहीं बच्चों का जन्म घर पर दर्शाया जा रहा है। जिसमें पड़ोसी गवाही देते हैं कि हम बच्चे के नामकरण समारोह में शामिल हुए थे। जिसके आधार पर मजिस्ट्रेट स्तर से प्रार्थना-पत्र को जांच और पंजीयन के लिए नगर निगम भेज दिया जाता है। बच्चों की जन्म तिथि में फर्जीवाड़ा का मुख्य कारण स्कूलों में प्रवेश माना जा रहा है। जिन स्कूलों में आयु सीमा तय है, उनमें प्रवेश के लिए अभिभावक कम उम्र दिखा कर प्रमाणपत्र बनवाते हैं।
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