Kanpur Engineer Arrested: एसटीएफ और मुंबई क्राइम ब्रांच ने ठगी के लिए ऑनलाइन लॉटरी सॉफ्टवेयर बनाने वाले इंजीनियर को कानपुर से गिरफ्तार किया है। संयुक्त कार्रवाई करते हुए टीम ने ठग गिरोह के मददगार इंजीनियर को शुक्रवार को बिठूर के गुलमोहर ग्रींस अपार्टमेंट से पकड़ा। टीम ने इंजीनियर का मोबाइल और लैपटॉप भी जब्त कर लिया है। जानकारी मिली है कि इंजीनियर ने मुंबई के एक गिरोह से एग्रीमेंट कर उनके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया था। इसके लिए इंजीनियर को ठग गिरोह ने 16 लाख रुपये दिए थे।
गिरोह ने इस सॉफ्टवेयर की मदद से अब तक करोड़ों की ठगी को अंजाम दे दिया है। मुंबई क्राइम ब्रांच ट्रांजिट रिमांड पर लेकर आरोपी इंजीनियर को मुंबई ले जाएगी। एसटीएफ इंस्पेक्टर लान सिंह के अनुसार, मुंबई क्राइम ब्रांच से असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर संतोष पवार अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे। उन्होंने जानकारी दी कि बिठूर इलाके के गुलमोहर ग्रींस अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर 1002 में लव गुप्ता नाम का व्यक्ति रहता है। उसे गिरफ्तार किया जाना है।
लव गुप्ता बेंगलुरू की एक कम्पनी में काम है। इस समय वह वर्क फ्रॉम होम में यहीं से अपनी कंपनी के लिए काम कर रहा है। मुंबई क्राइम ब्रांच की मदद करने के लिए एसटीएफ की टीम अपार्टमेंट पहुंची और आरोपी सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अरेस्ट कर लिया। आरोपी का मोबाइल और लैपटॉप टीम ने जब्त कर लिया है। मुंबई क्राइम ब्रांच के एपीआई ने बताया कि इसके जरिए वह जानकारी जुटाने का प्रयास करेंगे कि इंजीनियर ने और कितने गिरोह के लिए इस तरह के सॉफ्टवेयर बनाकर दिए हैं।
मुंबई के सगोरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के मुताबिक धोखाधड़ी, अमानत में खयानत, लाॅटरी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 4 (ए) 5 महाराष्ट्र गैम्बलिंग एक्ट, 66 सी आईटी एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है। लव ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसका मुंबई स्थित ईगल एंटरप्राइजेज नाम की कम्पनी के गोपाल शेट्टी से सॉफ्टवेयर बनाने के लिए करार हुआ था। गोपाल ने ऑनलाइन मनी मेकिंग लॉटरी सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कहा था। इंजीनियर ने यह सॉफ्टवेयर बनाकर कंपनी को 16 लाख रुपये में बेच दिया था। उसने बताया कि इसके लिए डोमेन खरीदा था। सॉफ्टवेयर के जरिए गोपाल शेट्टी ने ऑनलाइन वेंडर बनाए और उन्हें कमीशन देकर लोगों के साथ करोड़ों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया। लव गुप्ता के अनुसार सॉफ्टवेयर के मेंटीनेंस का ठेका भी उसके ही पास था। इसके लिए उसे हर साल 7-8 लाख रुपये दिए जाते थे।
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