Kanpur IIT: सेना के लिए मानव रहित पेट्रोलिंग गाड़ी बनाएगा कानपुर आईआईटी, जवानों की ऐसे बचेगी जान

Kanpur IIT: आईआईटी कानपुर भारतीय सेना के लिए ऐसा वाहन बनाएगा जिससे सैनिकों की जान बचाई जा सकेगी। दरअसल, सेना के लिए आईआईटी कानपुर मानव रहित पेट्रोलिंग गाड़ी बनाएगा।

Kanpur IIT
कानपुर आईआईटी बनाएगा मानव रहित पेट्रोलिंग गाड़ी   |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • भारतीय जवानों के लिए आईआईटी बनाएगा गाड़ी
  • सेना के लिए मानव रहित पेट्रोलिंग गाड़ी बनाएगा कानपुर आईआईटी
  • माइंस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सैनिकों को बचाया जा सकेगा

Kanpur IIT: सीमा पर बारूदी सुरंगों से सेना के जवानों को बचाने के लिए आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक जल्द अनमैंड ग्राउंड व्हीकल (यूजीएल) तैयार करेंगे। इससे माइंस की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सैनिकों को बचाया जा सकेगा। इसी तरह भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स ने दो-दो और चुनौतियां दी हैं, जिसे जल्द वैज्ञानिक तकनीक से दूर करेंगे। आईआईटी इसके लिए अपने इंक्यूबेटर और अन्य स्टार्टअप की भी मदद लेगा। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक व इंक्यूबेटर निरंतर शोध कर नई तकनीक विकसित कर रहे हैं। 

रक्षा मंत्रालय ने आईआईटी संग समझौता कर सेना की चुनौतियों को तकनीक से दूर करने का प्रयास शुरू किया है। आईडेक्स प्राइम के तहत भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स ने दो-दो चुनौतियां दी हैं, जिन्हें आईआईटी के साथ इंक्यूबेटर और स्टार्टअप तकनीक के माध्यम से निस्तारित करेंगे। 

सेना के जवानों और टैंकों को माइंस से बचाया जा सकेगा

भारतीय सेना ने ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस्ड अनमैंड ग्राउंड व्हीकल तैयार करने का लक्ष्य दिया है, जिससे सेना के जवानों व टैंकों को माइंस से बचाया जा सके। इसी तरह, ट्रस ब्रिज की एडवांस तकनीक विकसित करने की भी मांग की है। नेवी ने इलेक्ट्रिक वर्क बोट विकसित करने और ऑटोमेटिक नेवीगेशन सिस्टम विकसित करने का लक्ष्य दिया है। इसी तरह, एयरफोर्स ने ऊंची पहाड़ी और ऊंचाई वाले इलाकों में सिग्नल इंटेलीजेंस सिस्टम विकसित करने और एक्टिव डिकॉय तैयार करने की चुनौती दी है। 

आईआईटी ने बनाई स्पर्श-संवेदनशील स्मार्ट घड़ी

आईआईटी के वैज्ञानिक इन चुनौतियों को दूर करने के लिए डिफेंस सेक्टर में काम कर रहे स्टार्टअप की भी मदद ले रहे हैं। वहीं, इससे पहले आईआईटी, कानपुर ने नेत्रहीनों के लिए एक नई स्पर्श-संवेदनशील स्मार्ट घड़ी विकसित की थी। इसमें हृदय गति और शरीर में ऑक्सीजन जैसे स्वास्थ्य मापदंडों को जांचने के लिए सेंसर लगाया था। इस घड़ी को नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ पाण्डा और विश्वराज श्रीवास्तव ने विकसित किया था। आईआईटी की टीम ने जो स्मार्ट वॉच विकसित की है वह हैप्टिक मोड में काम करती है। हैप्टिक उस तकनीक से संबंधित है जो स्पर्श की तकनीक पर काम करती है।
 

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