Kanpur Urban Jungle News: कानपुर शहर में दिन प्रतिदिन घटती हरियाली और बढ़ते प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए वन विभाग अर्बन जंगल को तैयार करने की तैयारी में है। इस अर्बन जंगल को कानपुर के गंगा किनारे 10 हेक्टेअर जमीन पर तैयार किया जाएगा। मानसून आने से पहले 18 तरह के पौधों का पौधरोपण किया जाएगा। पहली बार में 44 हजार पौधे को लगाने का काम होगा।
कानपुर के डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर अरविंद यादव के अनुसार कल्याणपुर बिठूर रोड गंगा किनारे स्थित पृथ्वीगंज में अर्बन जंगल तैयार किया जाएगा। पौधरोपण का कार्य नगर वन योजना के तहत किया जाएगा। नगर वन योजना के तहत कानपुर शहर को भी चुना गया है। वन विभाग के अनुसार पहले अर्मापुर में अर्बन जंगल तैयार किया जाना था। लेकिन वह जमीन डिफेंस की उपलब्धता न होने के चलते इसे कैंसिल कर दिया गया। अब इसे बिठूर रोड पर तैयार किया जाएगा। मानसून आते ही पौधरोपण शुरू होगा।
गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए दोनों किनारों पर ग्रीन बेल्ट डेवलप की जाएगी। प्रदेश से गुजर रही गंगा के पाट के दोनों किनारों पर पांच-पांच किलोमीटर के दायरे में वन क्षेत्र विकसित किया जाएगा। वन अधिकारी ने बताया कि गंगा में अशुद्धियों को दूर करने और शहर में प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन बेल्ट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इनमें औषधीय पौधों के साथ प्रदूषण को कम करने वाले पौधे भी शामिल किए जाएंगे। गंगा किनारे स्थित वन क्षेत्र बनाने के लिए राजकीय भूमि, सामुदायिक भूमि, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल समेत अन्य जगहों पर पौधरोपण किया जाएगा। गंगा नदी के किनारे पौधे लगाए जाने के कई फायदे हैं। गंगा में कटान कम होगी, गंगा किनारे भूजल का स्तर तेजी से बढ़ेगा, इससे गंगा का जलस्तर सुधरेगा। इसके अलावा भूजल को रिचार्ज करने के लिए आईपोमिया और सरकंडा के पौधे भी लगाए जाने की तैयारी है। इसमें उन पौधों को लगाया जाएगा, जो गंगा के लिहाज से अनुकूल हैं।
पेड़ व पौधे वातावरण में फैलने वाले प्रदूषण को न सिर्फ रोकने में ही सहायक होते बल्कि इसके पत्ते प्रदूषण को अवशोषित करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे कई पौधे हैं जो घरों में गमलों में रहकर भी वातावरण के प्रदूषण को अपने अंदर अवशोषित कर ऑक्सीजन में बदल देते हैं। आमतौर पर छोटे से दिखने वाले पौधे मनुष्य के जीवन के लिए बड़ा काम करते हैं। यह पौधा हवा को शुद्ध रखता है। स्नेक प्लांट, पाइन प्लांट आदि कई ऐसे पौधे हैं जो घरों में रहते हुए प्रदूषित वातावरण को स्वच्छ बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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