नई दिल्ली। क्या खाकी एक बार फिक दागदार हुई है, दरअसल यह सवाल इसलिए है क्योंकि कानपुर की पुलिस पर आरोप लगा है। आरोप उस भाई की बहन ने लगाया है जो अब इस दुनिया में नहीं है। बहन का कहना है मां बाप का सहारा छिन गया, वो रक्षाबंधन का इंतजार कहर रही थी कि वो अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेगी। लेकिन अब तो अंतहीन इंतजार है। संजीत यादव अब इस दुनिया में नहीं है, पुलिस के मुताबिक संजीत यादव के दोस्तों ने उसे ही मार कर उसके शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। लेकिन इसके पीछे क्या कुछ हुआ है उसे समझना जरूरी है। इस मामले में 11 पुलिस वालों की सस्पेंड किया गया है जिसमें आईपीएस स्तर की अधिकारी शामिल हैं। इसके साथ ही एडीजी बी पी जोगदंड को जांच सौंपी गई है।
सपना रह गया सपना
संजीत यादव, कानपुर के ही एक पैथलैब में काम करता था, उसकी ख्वाहिश थी कि उसका अपना खुद का लैब हो। वो अपने सपने का जिक्र दोस्तों से किया करता था। लेकिन उसे क्या पता था कि जिन सपनों को वो बून रहा उसका दर्दनाक अंत होगा। एक दिन संजीत यादव का अपहरण हो जाता है उसके घर वाले परेशान होते हैं, बात पुलिस तक पहुंचती है और छानबीन के रास्ते पर केस अपना सफर तय करता है। संजीत की बहन का कहना है कि जांच के दौरान फिरौती की बात सामने आती है वो बर्रा थाने पहुंचती है और जो जवाब मिलता है वो काफी हैरान करने वाला था।
पुलिस वालों पर संगीन आरोप
पीड़ित परिवार से पुलिस कहती है कि पैसे का इंतजाम करो नहीं तो लड़का वापस नहीं आएगा। पीड़ित परिवार पैसे का इंतजाम करता है लेकिन पैसा अपहरणकर्ताओं तक नहीं पहुंचता है, ऐसे में बड़ा सवाल है कि पैसा कहां गया। इस सवाल का जवाब संजीत यादव की बहन खुद देती है पैसे पुलिस खा गई होगी। इस मामले में सीओ समेत 11 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है और जांच जारी है। पीड़ित परिवार का कहना है कि मां और बार में जमीन और जेवर बेंचकर पैसों का इंतजाम किया। उसका भाई तो अब इस दुनिया में नहीं है। सवाल यह है कि पैसों से भरा बैग कहा है। पुलिस वालों ने ही तो फिरौती देने की सलाह दी थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि संजीत नहीं बच सका।
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