कौन था विकास दुबे? जुर्म की दुनिया के बादशाह बनने से लेकर उसके अंत तक की कहानी

कानपुर समाचार
श्वेता सिंह
श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Jul 10, 2020 | 13:07 IST

who was Vikas Dubey: कानपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा जा चुका है इस प्रकार जुर्म के एक ऐसे अध्याय का अंत हो गया है जो कई साल से खौफ की वजह था।

who was Vikas Dubey
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की उम्र से ज्यादा उसके आपराधिक करतूतों की संख्या थी।  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • 1990 में महज 17 साल की उम्र में ही विकास दुबे ने पहला मर्डर किया
  • साल 2000 में उसने एक प्रिंसिपल की हत्या कर दी
  • ताराचंद इंटर कॉलेज में सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे की हत्या का आरोप लगा

नई दिल्ली: चौबेपुर के बिकरू गांव से लेकर कई जगहों पर जुर्म की दुनिया में अपना सिक्का चलाने तक विकास दुबे के अपराध जगत की लिस्ट बहुत लम्बी है। कानपुर, प्रयागराज और गोरखपुर में जिस किसी ने विकास दुबे के खिलाफ आवाज उठायी, उसे सदा के लिए खामोश कर दिया गया। आइए, जानते हैं विकास दुबे से कुख्यात अपराधी बनने तक की विकास दुबे की पूरी कहानी। विकास दुबे किस प्रकार अपराध की जगत में दाखिल हुआ और किस कदर खतरनाक अपराधी बन गया।
 
17 साल की उम्र में पहली हत्या

नब्बे के दशक से विकास दुबे के जुर्म की कहानी की शुरुआत होती है। 1990 में महज 17 साल की उम्र में ही उसने गांव के एक व्यक्ति को गोलियों से भून दिया। गांव में उसके नाम की दहशत हो गई। उसके बाद विकास दुबे ने कुछ लड़कों के साथ बड़ी बुलेट टीम तैयार की। यही से अपराध की दुनिया में वो दाखिल हुआ जो उसके खौफनाक अपराधी बनने की शुरुआत हो गई।

साल 2000 में प्रिंसिपल की हत्या

गांव के शख्स की हत्या करने के ठीक 10 साल बाद साल 2000 में विकास दुबे पर कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज में सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे की हत्या का आरोप लगा। उसी साल जेल में बंद रहते हुए उसे कानपुर में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोपी बनाया गया।

2001 में मंत्री की हत्या

विकास दुबे के असली गुंडाराज की शुरुआत साल 2001 में हुई। विकास दुबे शिवली थाने में घुसकर राजनाथ सिंह सरकार में पूर्व राज्य (उत्तर प्रदेश) के मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की। दिन-दहाड़े पुलिस थाने के अंदर घुसकर हत्या करने पर विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई गवाह न होने की वजह से छूट गया।

2002 में संपत्ति का अधिग्रहण

2002 में विकास दुबे ने जमीन अधिग्रहण करना शुरू किया। अवैध कब्जा शुरू करते हुए बड़ी संख्या में संपत्ति का अधिग्रहण किया। ये वो समय था जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनियन और चौबेपुर क्षेत्रों के साथ कानपुर शहर पर प्रभुत्व स्थापित करना शुरू किया।

2004 में केबल व्यवसायी की हत्या

सत्ताधारी पार्टी के मंत्री की हत्या करने और जेल से रिहा होने के बाद विकास दुबे के हौसले बुलंद होते गए। 2004 में विकास दुबे पर एक केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या में शामिल होने का आरोप लगा। साल 2013 में हत्या की बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

2018 में भाई पर जानलेवा हमला

विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया। इस समय विकास दुबे जेल में था। चचेरे भाई अनुराग की पत्नी ने विकास दुबे समेत चार अन्य के नाम मामला दर्ज करवाया।  

60 से ज्यादा आपराधिक मामले

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की उम्र से ज्यादा उसके आपराधिक करतूतों की संख्या थी। 60 से अधिक उसपर मामले दर्ज थे। विकास दुबे पर हत्या के पांच मामले और हत्या के प्रयास के आठ मामले थे। पुलिस ने उसके खिलाफ यूपी गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे सख्त कानून लगाए थे।

कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिस वालों की हत्या करवाने के मुख्य आरोपी विकास दुबे को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के परिसर से गिरफ्तार किया गया और उसे सड़क के रास्ते कानपुर लाया जा रहा था। 10 जुलाई की सुबह यूपी STF जब उसे कानपुर ला रही थी, उसी समय गाड़ी पलट गई और फिर भागने की कोशिश करने वाले विकास दुबे ने पुलिस पर गोलियां चलायीं।

जवाबी कार्यवाही में स्पेशल टास्क फोर्स ने उसे मार गिराया। इस तरह से विकास  दुबे के अपराधी बनने से शुरू हुई कहानी एक एनकाउंटर में खत्म हुई। विकास दुबे अब मारा गया है। इस प्रकार जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह एक एनकाउंटर में ढेर हो गया।

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