बच्चे कमजोर दिल के होते हैं और जल्दी किसी भी चीज को लेकर डर जाते हैं। बच्चों में अक्सर रात को डरावने सपने आने जैसी समस्या भी देखी गई है, जिसके चलते वो रात को ठीक से सो भी नहीं पाते हैं।
इन सपनों के चलते कई बार बच्चे रात को सोने से भी बचने लगते हैं और इन्हीं सपनों के कारण बच्चों में डर, गुस्सा, उदासी और चिढ़चिढ़ापन जैसी चीजें देखने को मिलती हैं। जिससे ना केवल बच्चों की बल्कि उनके पेरेंट्स की परेशानी और चिंता भी बढ़ जाती है।
बच्चों को रात के समय डरावने/बुरे सपने आने की कोई एक सटीक वजह सामने नहीं आई है। बच्चों को यह सपने उस समय आते हैं जब वो ज्यादा थके हो या स्ट्रेस में हों। जिन बच्चों ने दुखद घटनाओं का सामना किया हो, उन बच्चों को ऐसे सपने ज्यादा सताते हैं। इतना ही नहीं कुछ दवाईंयों के चलते भी बच्चों को ऐसे सपने आ सकते हैं।
ज्यादातर बच्चों को एक बार तो इस तरह के बुरे सपने सताते ही हैं। बच्चों को जल्दी- जल्दी बुरे सपने आने जैसी चीज बहुत कम देखी गई है। बच्चों को ये सपने किसी भी उम्र में आ सकते हैं, लेकिन इनकी शुरुआत 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों में होती है। 10 साल की उम्र के बाद ये कम हो जाते हैं।
बच्चों को ये बुरे सपने उनकी उम्र के मुताबिक आते हैं। जहां छोटे बच्चे सपने में अपने पेरेंट्स या किसी करीबी से अलग होने जैसे या फिर किसी राक्षस को सपने में देखकर डर जाते हैं। तो वहीं उम्र में थोड़े बड़े बच्चे हॉरर फिल्म या स्कूल से जुड़े किसी सपने को देखकर डरते हैं।
इन बुरे सपनों का असर कई बार बच्चों की दिमागी और शारीरिक दोनों सेहत पर बुरा असर डालता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का यह डर दूर किया जाए, जिसके लिए आप ये कदम उठा सकते हैं।
भरपूर नींद: बच्चों को जितनी नींद की जरूरत होती है वो उतनी नींद नहीं लेते और इसके चलते भी कई बार उन्हें बुरे सपने सताने लगते हैं। ऐसे में यह ध्यान रखें कि आपका बच्चा भरपूर नींद लेता है या नहीं।
सोते समय हल्का हो घर का माहौल: बच्चों के सोने जाने से करीब एक घंटा पहले यह ध्यान रखें कि घर का माहौल हल्का हो। घर में किसी भी डरावनी या स्ट्रेस भरी बातों का जिक्र नहीं होना चाहिए, वर्ना यह बच्चों को बुरे सपने आने का कारण बन सकते हैं।
बात करना है जरूरी: अगर आपको यह लगता है कि आपका बच्चा सोने से कतरा रहा है या रात को सोने के नाम से डर रहा है तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है। ऐसे में बच्चे से बात करें और इसके लिए रात की जगह दिन का समय चुनें।
शेड्यूल बनाएं: बच्चों के लिए दिन का शेड्यूल तैयार करें कि उन्हें किस समय पढ़ाई करनी है और कितनी देर खेलना है। इससे बच्चे ज्यादा थकेंगे नहीं और रात को सोने में भी आसानी होगी।
बच्चों के साथ बिताएं समय: बदलती लाइफस्टाइल में अक्सर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ समय बिताना भूल जाते हैं। बच्चे बुरे सपनों से दूर रहें इसके लिए जरूरी है कि आप उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं और उनसे बात करें। बच्चों के साथ मिलकर कुछ क्रिएटिव चीजें बनाएं, कहानी सुनाएं या उन्हें नई चीजें सिखाएं। इससे बच्चों का दिमाग दूसरी बातों में लगेगा और वो बुरे सपनों से बचे रहेंगे।
बच्चे के साथ सोएं: कई बार अकेले सोने के चलते भी बच्चों को बुरे सपने आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप उनके साथ सोएं ताकि उन्हें डर नहीं लगे। इसके साथ ही कमरे में पूरी तरह अंधेरा ना करें बल्कि नाइट बल्ब जलाकर सोएं।
अगर आप बच्चे को अकेले कमरे में सुलाते हैं तो यह जरूर सुनिश्चित करें कि उनके कमरे का दरवाजा रात के समय खुला रहे, ताकि बच्चे को कम डर लगे।
- हर कोशिश के बाद भी अगर आपका बच्चा सोने में डर रहा है या उसका डर बढ़ता जा रहा है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें।
- रात के बुरे सपनों का बच्चों की दिनचर्या पर हो असर।
- अगर बच्चे को बार- बार बुरे सपने आ रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।