Noida Fraud Call Center: नोएडा में लैपटॉप-कंप्यूटर में वायरस डाल कर ठगी करने वाले कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 10 गिरफ्तार

Noida Fraud Call Center: आरोपी कॉल सेंटर से विदेशी लोगों से संपर्क कर कंप्यूटर-लैपटॉप में वायरस डालकर ठीक करने का झांसा देते थे। टेक्निकल हैल्प के नाम पर अलग-अलग सॉफ्टवेयर से लैपटॉप-कंप्यूटर को हैक कर लेते थे। इसके बाद फोरेन के लोगों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुरा अपने किराए पर हायर किए गए विदेशी खातों में रकम ट्रांसफर कर लेते थे।

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नोएडा में कंप्यूटर वायरस के नाम पर ठगी करने वाले 10 अरेस्ट  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • कंप्यूटर व लैपटॉप में वायरस डालने के नाम पर करते थे ठगी
  • विदेश के लोगों के अकाउंट की डिटेल चुरा लेते थे
  • उनके खातों से अपने किराए के अकाउंट में रकम करते थे ट्रांस्फर

Noida Fraud Call Center: हाइटेक सिटी नोएडा में यूपी एसटीएफ ने एक फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर 10 लोगों को अरेस्ट किया है। एसटीएफ के मुताबिक आरोपी फोरेनर्स के कप्यूटरर्स व लेपटॉप में वायरस डाल देते थे। इसके बाद सिस्टम को ठीक करन के नाम पर आरोपी अब तक 170 करोड़ से भी अधिक रूपए की ठगी कर चुके हैं। एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि नोएडा के सेक्टर-59 के बी-36 में स्थित एक कॉल सेंटर पर रेड की कार्रवाई की गई। जिसमें गैंग के मुखिया सहित 10 लोगों को दबोचा गया है। एसटीएफ के प्रभारी सीनियर आइपीएस वीवी सिंह ने बताया कि, पकड़े गए आरोपियों ने दुबई व अमेरिका सहित कई देशों के लोगों से ठगी करने की बात स्वीकार की है।

उन्होंने बताया कि आरोपियों की शिनाख्त बेगमगंज गोंडा के विनोद सिंह, सेक्टर-44 के करन मोहन, सेक्टर-92 के ध्रुव नारंग, सेक्टर-49 के मयंक गोगिया, सेक्टर-15ए के अक्षय मलिक, गढ़ी चौखंडी के दीपक सिंह, गौड़ सिटी के आहूजा पॉडवाल, दिल्ली के अक्षय शर्मा, मुकुल रावत व जयंत सिंह के तौर पर हुई है। एसटीएफ ने मौके से 76 डेस्कटॉप, 81 सीपीयू, 12 मोबाइल,  56 वीओआईपी डायलर, 37 क्रेडिट कार्ड सहित अन्य सामग्री बरामद की है। 

कई सेल कंपनियां चला रहे थे

सीनियर आइपीएस वीवी सिंह ने बताया कि आरोपियों से की गई पूछताछ में सामने आया है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए इन लोगों ने कई नामों से सेल्स कंपनियां बना रखी थी। आरोपी कॉल सेंटर से विदेशी लोगों से संपर्क कर कंप्यूटर-लैपटॉप में वायरस डालकर ठीक करने का झांसा देते थे। टेक्निकली हैल्प के नाम पर अलग-अलग सॉफ्टवेयर से लैपटॉप-कंप्यूटर को हैक कर लेते थे। इसके बाद फोरेन के लोगों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुरा अपने किराए पर हायर किए गए  विदेशी खातों में रकम ट्रांसफर कर लेते थे।

मनी लॉड्रिंग का चल रहा था खेल

यूपी एसटीएफ  के प्रभारी वीवी सिंह ने बताया कि पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि ठगी के इस खेल में हवाला के जरिए इंडियन करेंसी में रूपए कनवर्ट होकर आरोपियों के पास कैश आते थे। ठगी का रूपया पहले डॉलर के रूप में आरोपियों के किराए के अकाउंट्स में जाता था। इसके बाद हवाला कारोबारी अपना कमीशन लेने के बाद इन्हें इंडियन करेंसी में रूपया भेजता था। एसटीएफ के मुताबिक आरोपियों की जड़ें ऑस्ट्रेलिया, लेबनान, दुबई, कनाडा व अमेरिका सहित कई देशों में हैं, जहां के लोगों से इन्होंने ठगी की है। इनके यहां पर करीब 50 लोग जॉब कर रहे थे। पुलिस अब बाकी लोगों की तलाश में जुटी है। वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के मुताबिक वीओआईपी कॉल के जरिए विदेशी नागरिकों को ये अपना निशाना बनाते थे। जिसमें इनकी रिकॉर्डिंग नहीं होती। इसी के जरिए ठगी का सारा खेल रचते थे। 


 

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