नई दिल्ली: 2013 में बिहार के पटना के गांधी मैदान में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में फैसला आ गया है। एनआईए कोर्ट पटना ने 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया है औक एक आरोपी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। धमाका तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की 'हुंकार' रैली के स्थान पर हुआ था।
27 अक्टूबर, 2013 को पटना में सिलसिलेवार विस्फोटों में छह लोग मारे गए थे और 90 से अधिक घायल हुए थे। हालांकि, मोदी ने भीड़ को शांत करने और भरे गांधी मैदान में भगदड़ को रोकने के लिए रैली को आगे बढ़ाया। इस मामले में इंडियन मुजाहिदीन (IM) के नौ संदिग्धों और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक संदिग्ध को आरोपी बनाया गया था। एनआईए ने 6 नवंबर, 2013 को इस मामले को अपने हाथ में लिया। अगस्त 2014 में 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। एजेंसी के अनुसार, नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में पिछली रैलियों में नरेंद्र मोदी के करीब नहीं आने के बाद आरोपियों ने पटना विस्फोटों की योजना बनाई थी।
आरोपियों की पहचान नुमान अंसारी, हैदर अली उर्फ 'ब्लैक ब्यूटी', मोहम्मद मुजीबुल्लाह अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, अहमद हुसैन, फकरुद्दीन, मोहम्मद इफ्तेखार आलम और एक नाबालिग के रूप में हुई, जिनकी पहचान सुरक्षित कर ली गई। नाबालिग आरोपी को 12 अक्टूबर, 2017 को किशोर न्याय बोर्ड ने कई विस्फोटों में शामिल होने का दोषी पाए जाने के बाद तीन साल की सजा सुनाई थी।
27 अक्टूबर 2013 की सुबह पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर लगभग 10 बजे पहला बम विस्फोट हुआ, जबकि बम निरोधक कर्मियों द्वारा दो गैर-विस्फोटित बम बरामद किए गए। दूसरा बम 12:10 पर फट गया, जबकि तीसरा बम 12:25 पर फट गया, दोनों गांधी मैदान के पास ब्लास्ट हुए। पांच अन्य विस्फोट हुए, जिनमें से तीन बम गांधी मैदान क्षेत्र के अंदर और बाहर फटे, एक सिनेमा हॉल के पास और दूसरा पटना में ट्विन टॉवर बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स के पास फटा।
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