बिहार की राजनीति में बड़ी चालाकी से नेता बाहुबलियों की हनक को अपना शिकार बनाते आए हैं। आज से नहीं बल्कि कई दशकों से बिहार की राजनीति में दबंगों और नेताओं का चोली-दामन का साथ रहा है। एक-दूसरे के बिना वो अधूरे रहे हैं। बाहुबली नेता की छत्रछाया में अपना संरक्षण तलाशते रहे हैं और नेता इन्हीं बाहुबलियों के कंधे पर बंदूक चलाकर वोट अर्जित करे रहे हैं। बिहार की राजनीति में कुछ चुनिंदा बाहुबलियों की बात आज हम आपको बताएंगे। उनके राजनीतिक इतिहास से लेकर वर्तमान तक का विस्तार से जिक्र करेंगे।
सुरेंद्र प्रसाद यादव
राजद नेता और लगातार 7 बार से बेलागंज विधानसभा सीट से विधायक सुरेंद्र यादव पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। क्या मजाल है कि बेलागंज सीट से कोई और जीत जाए। प्रतिद्वंदी कोई भी हो, लेकिन बेलागंज सीट से जीत हमेशा ही राजद के खाते में ही गई। इसका श्रेय बाहुबली सुरेन्द्र यादव को जाता है। ये लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। आज से नहीं बल्कि शुरुआत से ही राजद के खाते में सुरेंद्र यादव ने डरा-धमकाकर वोट बटोरे हैं।
मोहम्मद शाहबुद्दीन
बिहार के सीवान को वीरान बनाने का श्रेय इसी बाहुबली को जाता है। कम उम्र में विधायक बनकर लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में शाहबुद्दीन ने ऐसे-ऐसे कारनामे किए, जिसे सोचकर आम जनता की रूह कांप जाती है। अपनी दबंगई का फायदा शाहबुद्दीन को राजद में शामिल होने के बाद मिला। लालू प्रसाद यादव को भी इस बाहुबली का खूब फायदा मिला। सालों तक सीवान जिले की सभी विधानसभा सीट पर राजद का एकछत्र राज होता था। शाहबुद्दीन जेल के अंदर हो या बाहर जनता का वोट हमेशा ही राष्ट्रीय जनता दल के खाते में ही जाता था। फिलहाल शाहबुद्दीन उम्र कैद की सजा काट रहा है।
पप्पू यादव
राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर बाहुबली पप्पू यादव पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरे। पप्पू यादव का नाम इतना बदनाम हो चुका था कि प्यार में नहीं बल्कि डर में जनता का वोट उसकी झोली में पड़ता था। पप्पू यादव लालू प्रसाद यादव के अंध भक्त कहे जाते थे। राजनीति में आने से पहले वो लालू को अपना हीरो मानते थे। पप्पू यादव ने राजद से रिश्ता तोड़ने के बाद कई बार कहा कि एक आम इंसान से दबंग बनाने वाला कोई और नहीं बल्कि लालू प्रसाद यादव थे।
सूरजभान सिंह
बिहार की राजनीति बाहुबलियों की कहानी के बिना अधूरी है। यूं कहें कि बिहार की सियासत लंबे समय तक नेता और बाहुबली से बनी धूरी पर ही घूमती रही है। बिहार की राजनीति में रंगदारी, अपहरण और हत्या जैसे अपराध करने वाला सूरजभान सिंह दबंगई के बाद राजनीती में भी किस्मत आजमाने उतर गए। मोकामा की छोटी गलियां जब उसके अपराध के लिए संकरी पड़ने लगीं तो उन्होंने पूरे बिहार को अपना निशाना बनाना शुरू किया। पहले दबंगई फिर विधायक और बाद में सांसद तक बने। पहले निर्दलीय विधायक बने फिर पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का दामन थाम लिया। कहते हैं कि सूरजभान सिंह कभी मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संकटमोचक भी थे।
अनंत सिंह
बाहुबली अनंत सिंह की दबंगई का नमूना इसी से मिल सकता है कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से मतभेद होने के बाद निर्दलीय लड़ने पर भी अनंत सिंह भारी मतों से विधायिकी जीते थे। कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भी मोकामा विधानसभा सीट से कोई और जीतेगा। इस बाहुबली पर हत्या, अपहरण और रंगदारी के तीस से अधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन आज भी धड़ल्ले से चुनाव लड़ते और जीतते हैं। ये है बिहार में राजनीती और दबंगई का मिश्रण।
देश में सबसे अधिक दागी विधायक और सांसद बिहार के ही हैं। दशकों से बिहार की राजनीति में एक पहिया नेता तो दूसरा बाहुबली का होता आया है। राजनीती का ये रथ इन दोनों पहियों पर ही चलता है।
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