बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और सत्ता में आने के लिए चाहिए 122 सीट और चुनाव का अंतिम परिणाम आएगा नवंबर 10 को लेकिन उससे पहले बिहार के एक्जिट पोल्स ने साफ साफ संकेत दिया है कि बिहार के सत्ता के दौर में तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से आगे हैं। सवाल है कि तेजस्वी यादव सत्ता के दौर में आगे कैसे हैं और क्यों हैं?
आइए इसके लिए सबसे पहले देखते हैं टाइम्स नाउ सी वोटर का एक्जिट पोल
वोट शेयर क्या कहता है?
पार्टी/गठबंधन 2015 2020 स्विंग %
एनडीए 44.6 37.7 -6.9
बीजेपी 25 20.4 -4.6
हम - 1.0
जेडीयू 17.3 15.1 -2.2
वीआईपी - 1.2
महागठबंधन 25.6 36.3 +10.7
सीपीआई 0.8
सीपीआई एम 0.4
सीपीआई एम एल 2.8
कांग्रेस 6.8 9.4 +2.6
आरजेडी 18.8 22.9 +4.1
एलजेपी 5 8.5 +3.5
अन्य 17.5
अब देखते हैं सीट शेयर क्या कहता है
पार्टी/गठबंधन 2015 2020 लाभ/हानि
एनडीए 125 116 -9
बीजेपी 53 70 +17
हम 1 2 +1
जेडीयू 71 42 -29
वीआईपी - 2 +2
महागठबंधन 107 120 +13
सीपीआई - 2 +2
सीपीआईएम - 2 +2
सीपीआईएमएल 3 6 +3
कांग्रेस 27 25 -2
आरजेडी 80 85 +5
एलजेपी 2 1 -1
अन्य 6
यानि टाइम्स नाउ सी वोटर एक्जिट पोल के हिसाब से बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन या यूपीए सत्ता के दौर में सबसे आगे है ।
और अब देखते हैं बाकी एक्जिट पोल क्या कहता है यानि पोल ऑफ पोल्स
पोलस्टर्स एनडीए महागठबंधन एलजेपी अन्य
सी वोटर 116 120 1 6
जन की बात 104 128 7 4
टीवी9 भारतवर्ष 115 120 4 4
ईटीजी 114 120 3 6
टूडे चाणक्य 55 180 0 8
एक्सिस 80 150 4 4
पोल ऑफ पोल्स 101 134 2 6
यानि एक्जिट पोल ऑफ पोल्ल्स के हिसाब से तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे।
अब सवाल उठता है कि एक्जिट पोल ऑफ पोल्स का मैसेज क्या है?
पहला आरजेडी नंबर वन पार्टी
दूसरा बीजेपी नंबर दो पार्टी
तीसरा जेडीयू नंबर तीन पार्टी
चौथा एलजेपी ए बिग स्पोईलर एनडीए के लिए ना कि महागठबंधन के लिए
आखिर ऐसा क्यों हुआ?
पहला तेजस्वी यादव का फॉर्मूला एमवाईवाई चल गया यानि मुस्लिम यादव यूथ। मुस्लिम यादव चट्टान की तरह तेजस्वी के साथ रहे और इसमें बिहार के यूथ ने उन्हें सत्ता के दौर में सबसे आगे कर दिया और यही कारण था कि तेजस्वी पूरे चुनाव प्रचार में यूथ और रोजगार की बात करते रहे। बदलाव की बात इसीलिए करते रहे क्योंकि बदलाव युवा की ला सकता है ना कि बुजुर्ग। दूसरा तेजस्वी ने पीएम मोदी पर कभी भी अटैक नहीं किया बल्कि पूरा फोकस किया नीतीश कुमार पर। इन्हीं कारणों कि वजह से आज ड्राइवर सीट पर तेजस्वी हैं ना कि नीतीश।
दूसरा बीजेपी ने सीट तो बढ़ाया लेकिन वोट शेयर के मामले में गच्चा खा गई। इसका सबसे बड़ा कारण एलजेपी पर भाजपा काडर में भारी कंफ्यूजन। इसका जिम्मेदार एलजेपी नहीं बल्कि बीजेपी स्वयं है। साथ ही नीतीश कुमार को बीजेपी ने शुरू से नीतीश को ऑल आउट सपोर्ट नहीं किया जो उसे बाद में करना पड़ा। बीजेपी का सीट शेयर बढ़ा इसका कारण बिहार बीजेपी नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिनकी क्रेडिबिल्टी आज भी बरकरार है। ये तो तय हो गया कि सुशील मोदी से बिहार बीजेपी ऊपर नहीं उठेगी क्योंकि इसी वजह से आज बिहार में बीजेपी के पास कोई भी यूथ लीडर नहीं है।
तीसरा जेडीयू और नीतीश कुमार पिछले छह महीने के कोरोना काल ने इन्हें जनता से काट दिया। नीतीश कुमार कोरोना केग में बंद होकर रह गए। नीतीश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीख नहीं पाये कि कोरोना काल में जनता के बीच अपनी विसिबिलिटी कैसे बनाए रखें। नौकरशाही का आलम तो मैंने स्वयं ही जाकर देखा कि किस तरह से बिहार में पैरवी और पैगाम का बोलबाला हो चला है जिसमें टैलंट की कोई अहमियत नहीं बचा है। इसी वीक पॉइंट को तेजस्वी ने दिन रात मेहनत करके बिहार की जनता को समझा लिया।
चौथा एलजेपी के चिराग पासवान बिग स्पोईलर। बिहार में एक कहावत है कि चौबे चले छब्बे बनने और बन गए दुबे वही हाल हुआ चिराग पासवान का। और इस आग में चिराग तो झुलसे ही बल्कि सबसे ज्यादे झुलसा गए बीजेपी को। एक बात तय है कि स्पोईलर हमेशा स्पोईलर ही बना रह जाता है ना कि किंग।
आखिर में एक्जिट पोल के हिसाब से तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना तय है लेकिन एक्जिट पोल अनुमान होता है ना कि परिणाम और परिणाम के लिए हमें इंतजार करना होगा नवम्बर 10 का जब हमें पता चलेगा कि क्या तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे?
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