पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को तारापुर और कुशेश्वर अस्थान विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की। दोनों सीटों से जदूय विधायकों के निधन के बाद उपचुनाव कराना पड़ रहा है। दोनों सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी। पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बयान को लेकर नीतीश कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चाहें तो गोली मरवा सकते हैं और कुछ नहीं कर सकते।
गौर हो कि लालू ने कहा था कि हम पटना आएंगे और नीतीश जी का विसर्जन कर देंगे। उधर नीतीश कुमार ने तारापुर और कुशेश्वर अस्थान में अपनी रैलियों में इस बात को रेखांकित करने की कोशिश की कि उम्मीदवार सिर्फ एक पार्टी का नहीं बल्कि पूरे एनडीए का है और बीजेपी तथा लोजपा (पारस गुट) के नेता खुले तौर पर उनके समर्थन में उतर आए हैं। मुख्यमंत्री के पक्ष में इस चुनाव में जो एक प्रमुख कारक है, वह यह है एनडीए। सत्तारूढ़ जदयू एनडीए का हिस्सा है जो एकजुट है और विपक्ष विभाजित है।
बिहार में आरजेडी और कांग्रेस का पुराना गठजोड़ अब टूट गया है और दोनों पार्टियां इस उपचुनाव में मैदान में हैं। उपचुनाव में प्रदेश की दोनों सीटों पर लोकजनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान धड़े ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। चिराग गुट के पास राज्य में जनाधार नहीं है। हालांकि, तारापुर में वह कुछ साबित कर सकते हैं क्योंकि यह उनके अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र जमुई के अंतर्गत आता है। कुशेश्वर अस्थान विधानसभा सीट समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां से उनके चचेरे भाई प्रिंस राज सांसद हैं। पार्टी में विभाजन के बाद प्रिंस पशुपति कुमार पारस गुट में शामिल हो चुके हैं।
तारापुर के विधायक मेवा लाल चौधरी का कोविड-19 की दूसरी लहर में निधन हो गया जबकि कुशेश्वर अस्थान सुरक्षित सीट के विधायक शशि भूषण हजारी ने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उनका हेपेटाइटिस का इलाज चल रहा था।
पिछले साल विधानसभा चुनावों के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर बने रहे। हालांकि उनकी पार्टी को 45 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी की सहयोगी बीजेपी को 70 से अधिक सीटें मिली थी।
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