पटना। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस की अर्जी दी थी जिस पर बिहार सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार ने भी मुहर लगा दी है। लेकिन उनकी वीआरएस अर्जी और उस पर 24 घंटे में मुहर लगाए जाने पर रिया चक्रवर्ती के वकील मानसिंदे ने तंज कसा है। वो कहते हैं कि जिस तरह से 24 घंटे के अंदर बिहार के राज्यपाल और केंद्र सरकार की तरफ से वीआरएस को हरी झंडी दिखा दी गई उससे पता चलता है कि यह एसएसआर के लिए न्याय नहीं बल्कि गुप्तेश्वर पांडेय के लिए न्याय है।
रिया के वकील ने कसा तंज
सतीश मानसिंदे कहते हैं कि जिस तरह से रिया चक्रवर्ती के मामले में गुप्तेश्वर पांडेय की तरफ से सक्रियता दिखाते हुए केस को सीबीआई को हैंडओवर किया गया उससे कहीं ज्यादा तेज पांडे की वीआरएस अर्जी पर फैसला लेने में किया गया। इससे स्पष्ट है कि किसका मकसद किसे फायदा पहुंचाना था। दरअसल जिस तरह से सुशांत सिंह केस में गुप्तेश्वर पांडेय ने सक्रियता दिखाई थी उससे स्पष्ट था कि कहीं न कहीं वो कुछ राजनीतिक लाभ पाने के मकसद से मुहिम चला रहे थे।
रिया केस में सक्रिय थे गुप्तेश्वर पांडेय
सुशांत सिंह केस में गुप्तेश्वर पांडेय मीडिया में भी लगातार सक्रिय भी थे। एक बार उन्होंने कहा था कि रिया चक्रवर्ती में इतनी औकात नहीं है कि वो नीतीश कुमार पर टिप्पणी करें। उनके इस बयान की आलोचना हुई और वो उन्होंने अपने बयान पर माफी भी मांग ली। गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में भी बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए VRS लिया था। लेकिन टिकट न मिलने के बाद वीआरएस वापस ले सेवा में आने की अर्जी दी। करीब 9 महीने बाद नीतीश कुमार सरकार ने मंजूर कर लिया था। 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था.
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