पटना : बिहार में भाजपा के पारंपरिक मतदाताओं के एक समूह के छिटकने से पार्टी में एक वर्ग द्वारा सुधार की बात उठाई जाने लगी है और कई नेताओं का मानना है कि शीर्ष नेतृत्व को एमएलसी और विधानसभा उपचुनाव परिणाम में छुपे संदेश पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बिहार में भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ संकेत एकदम स्पष्ट हैं जैसे कि पासवान मतदाताओं को अपने पक्ष में रखने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस पर दांव लगाना लेकिन इससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिले और देखा जा सकता है कि दलित समुदाय का झुकाव चिराग पासवान के पक्ष में ज्यादा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को सिलसिलेवार ट्वीट करके अपने विचार रखे। उन्होंने लिखा है कि बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को 10 सीटों का नुकसान और फिर विधानसभा के बोचहां उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार का 36 हजार मतों के अंतर से पराजित होना हमारे लिए गहन आत्मचिंतन का विषय है।
उन्होंने लिखा है कि बोचहां विधानसभा क्षेत्र की एक-एक पंचायत में एनडीए विधायकों-मंत्रियों ने जनता से सम्पर्क किया था। पूरी ताकत लगाई गई थी। सरकार ने भी सभी वर्गों के विकास के लिए काम किये और सबका विश्वास जीतने की कोशिश की।
सुशील मोदी ने आगे लिखा है कि इसके बाद भी एनडीए के मजबूत जनाधार अतिपिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था। इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा। वह पिछड़े समुदाय में आने वाले निषाद और भूमिहारों का वोट खिसकने के संदर्भ में बात कर रहे थे। बिहार में अभी तक भूमिहार समुदाय कमोबेश बीजेपी का पक्का मतदाता रहा है।
पहचान जाहिर नहीं करने के इच्छुक राज्य में भाजपा के कुछ नेताओं ने कहा कि एमएलसी चुनाव में राजद से चुनाव जीतने वाले तीन उम्मीदवार भूमिहार हैं और यह दिखाता है कि दशकों तक लालू प्रसाद यादव नीत पार्टी का विरोध करने के बाद अंतत: यह समुदाय उनके पाले में जाता नजर आ रहा है।
हालांकि, 24 में से कुल 13 सीटों पर राजग को जीत मिली है लेकिन उसे कुछ सीटों पर बेहद अप्रत्याशित हार मिली है। पार्टी के एक नेता ने चेताया कि एमएलसी चुनाव और महज एक सीट पर उपचुनाव को देखकर ट्रेंड तय करना उचित नहीं होगा, लेकिन यह भी कहा कि इससे सीख ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारा नेतृत्व प्रत्येक चुनाव को गंभीरता से लेता है। वे लोग आवश्यकता अनुसार सुधारात्मक कदम उठाएंगे।
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