पटना। देश इस समय कोरोना महामारी के सबसे भयावह दौर से गुजर रहा है। करीब करीब सभी सूबों में ऑक्सीजन की किल्लत, दवाई की कमी है। यह बात अलग है कि सरकारें आंकड़ों के जरिए सबकुछ दुरुस्त होने का दावा कर रही हैं। लेकिन अस्पतालों के सामने बेड के लिए गिड़गिड़ाते लोग, दवाई के लिए किसी सीएमओ के पैर को छूने से जैसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं। विपक्ष के नेता सरकारी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं तो अपनी लाचरगी भी बयां कर रहे हैं।
बिहार के डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव कहते हैं, इतना असहाय और असमर्थन उन्होंने अपने आपको कभी नहीं पाया। एक इंसान होने के नाते उन लोगों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि 39 जिलों में से 10 जिलों में 5 से अधिक वेंटिलेटर नहीं है। कुछ ऐसे भी जिले हैं जहां मशीन होने के बाद उसे चलाने वाले ऑपरेटर नहीं है। अधिकारियों को फोन करने पर घंटी सिर्फ बजती है उसे कोई उठाता नहीं। हद तो यह है कि बेलगाम अफसरशाही अपने मुखिया की भी बात नहीं सुन रही है।
अधिकारियों को फोन लगवाओ तो फोन बजते रह जाता है। कोई उठाता नहीं है। अधिकारी या तो CM की भी सुन नहीं रहे या मुख्यमंत्री को व्यवस्था दुरुस्त करने में कोई रुचि ही नहीं? कोई ऐसी dedicated हेल्पलाइन नहीं है जहाँ लोग फोन कर Real Time बेड,ऑक्सीजन या दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ले पाएँ।
नागरिकों के लिए एक तरफ बेपरवाह व भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था का अंधा कुआं है तो दूसरी तरफ काला बाज़ारी, मुनाफाखोरी और आँकड़ों की हेरा-फेरी। भ्रष्ट सरकार धृतराष्ट्र की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठी है। लोगों को मरते छोड़ सरकार बस Headline Management व मौत के आंकड़ों को कम करने में लगी है।
हमारी पार्टी और कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे है लेकिन एक सीमा के बाद ऑक्सिजन नहीं मिल पाती, अस्पतालों में बेड नहीं मिल पाते। हम सीमित संसाधनों के साथ लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो हाथ ऊपर कर चुकी सरकार और उसकी भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था दीवार बनकर रास्ता रोक देती है।
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