पटना। बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में संपन्न होंगे और 10 नवंबर को नतीजा सामने होगा कि पाटलिपुत्र की गद्दी पर कौन आसीन होगा। चुनावी समर में कूद चुके दल एक एक कर अपने उम्मीदवारों के चेहरे को जनता के सामने ला रहे हैं। लेकिन उसके साथ ही विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं। ताजा मामला जेडीयू से जुड़ा है, बता दें कि बीजेपी के साथ समझौते के बीच जेडीयू के खाते में 122 सीटें गई हैं जिसमें सात सीटों पर हम पार्टी चुनावी मैदान में है।
जेडीयू के पटना दफ्तर में हंगामा
बुधवार को पटना में जेडीयू में असहज नजारा सामने आया। विवाद के केंद्र में अस्थावन सीट से मौजूदा विधायक जीतेंद्र कुमार थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि उस सीट पर जीतेंद्र कुमार की जगह किसी और को टिकट दिया जाए। जीतेंद्र कुमार के बारे में कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनका कामकाज अच्छा नहीं है और इसके साथ ही वो किसी का भी सम्मान नहीं करते हैं। बवाल के बीच पार्टी ने 115 सीटों पर सभी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। यहां दिलचस्प बात है कि जिस जीतेंद्र कुमार के नाम पर कार्यकर्ता टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे थे पार्टी ने एक बार फिर उनमें भरोसा जताया है।
असंतोष को नजरंदाज न करे पार्टी
दरअसल चुनावी मौसम में इस तरह का नजारा आम होता है। यह किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं रहता है, बल्कि हर एक दल के कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष होता है। जेडीयू के दफ्तर में हंगामा कर रहे कार्यकर्ता कह रहे थे कि उन्हें नेतृत्व से किसी तरह की शिकायत नहीं है। लेकिन जिस तरह से जमीन पर काम करने वालों को अपने माननीय विधायक से असंतोष है उसे पार्टी को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। जानकारों का कहना है कि यह बात सच है कि सीटों के मुद्दे पर बीजेपी पर जेडीयू दबाव बनाने में कामयाब रही है। लेकिन जिस तरह से एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की तरफ से फील्डिंग की गई है उससे जेडीयू की राह में मुश्किल आ सकती है।
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