पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला तो जारी है ही और अब अलायंस भी टूट रहे हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवामा मार्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने चुनाव से ऐन वक्त पहले महागठबंधन से नाता तोड़ने का फैसला किया है। हालांकि इसकी अभी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। गुरुवार को हुई 'हम' की आधिकारिक बैठक में यह फैसला लिया गया। मांझी का गठबंधन को छोड़ने को तेजस्वी यादव के लिए एक झटके के रूप में भी देखा जा रहा है।
मांझी की थी ये मांग
पिछले कुछ समय से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि मांझी महागठबंधन से अपना नाता तोड़ सकते हैं और नीतीश कुमार के साथ आकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो सकते हैं। दरअसल जीतनराम मांझी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में एक समन्वय समिति चाहते थे जो सीट शेयरिंग से लेकर मुख्यमंत्री प्रत्याशी तक के सभी बड़े फैसले करे। लेकिन यहां आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की महत्वाकांक्षा सामने आई और आरजेडी नेता उन्हें ही मुख्यमंत्री प्रत्याक्षी बताने लग गए।
मांझी ने की थी कांग्रेस आलाकमान से भी मिलने की कोशिश
मांझी ने इसके लिए महागठबंधन के कई अन्य नेताओं से भी बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला, यहां तक कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से भी मिलने की कोशिश की लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। ऐसे में नाराज मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ने का ऐलान किया। कहा जा रहा है कि मांझी या तो एनडीए में शामिल हो सकते हैं या फिर खुद की पार्टी का नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में विलय कर सकते हैं।
लगातार पार्टी बदल रहे हैं नेता
आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नेताओं का दल बदलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। कुछ दिन पहले ही जेडीयू नेता श्याम रजक जहां आरजेडी में शामिल हुए तो वहीं उसके बाद आरजेडी के तीन विधायक जेडीयू में शामिल हो गए। श्याम रजक ने पार्टी छोड़ने के बाद नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया था जिसका मांझी ने बचाव किया और कहा था कि नीतीश को दलित विरोधी कहना ठीक नहीं है।
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