बिहार में इन दिनों दो नाम चर्चा में हैं, पहले का नाम जीतन राम मांझी और दूसरे का नाम गजेंद्र झा है। जीतन राम मांझी ने हाल ही में बयान दिया जिसमें अपशब्दों का जिक्र था। ब्राह्मणों पर भद्दी टिप्पणी करने का आरोप लगा। लेकिन मामला जब बढ़ा तो उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने अपने समाज के बारे में टिप्पणी की थी। जीतन राम मांझी के बयान के बाद बीजेपी नेता गजेंद्र झा ने कहा कि ब्राह्मण समाज से जो शख्स उनकी जीभ काट कर ला देगा उसे 11 लाख रुपए का इनाम देंगे। इसके बाद सियासत और गरमा गई। अब इस मामले में बीजेपी ने अपने नेता को निलंबित कर दिया है और 15 दिन के अंदर हाईकमान को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
गजेंद्र झा ने क्या कहा था
मैं एक घोषणा करना चाहता हूं। अगर कोई ब्राह्मण जीतन राम मांझी की जीभ काटकर मेरे सामने लाता है तो मैं उसे 11 लाख रुपये का इनाम दूंगा। जीतन राम मांझी, हालांकि, 11 पैसे के भी लायक नहीं हैं। जीतन राम मांझी ने कहा था कि मैंने अपने समुदाय के लिए 'हरामी' शब्द का इस्तेमाल किया, पंडितों के लिए नहीं। अगर कोई गलतफहमी हुई है तो मैं उसके लिए माफी मांगता हूं।
गरमा गई बिहार की सियासत
गजेंद्र झा के बयान के बाद बिहार की सियासत गरमा गई। हम पार्टी के साथ साथ दूसरे दलों ने भी कहा यह तो मनुवादी मानसिकता है, बीजेपी की सोच यही है, समाज के दबे कुचले लोगों के अपमानित करने का एक भी मौका बीजेपी नहीं छोड़ती है। हम पार्टी ने कहा कि जो कुछ मांझी द्वारा कहा गया था वो उनके खुद के समाज के बारे में था। वो किसी विषय से आहत थे लिहाजा मुंह से वो शब्द निकल गए। उन्हें बाद में अहसास हुआ कि उन्हें वैसे शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए था। लेकिन जिस तरह से बीजेपी के नेता की तरफ से बयान आया वो पूरे महादलित को अपमानित करने जैसा है।
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