बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर बिहार में एक राजनीतिक घटना घटी। लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने बिहार एनडीए के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यंमत्री जीतनराम मांझी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए तेजप्रताप यादव ने कहा कि अगर मांझी जी का मन डोल रहा है तो हमारा दरवाजा खुला है वह आ जाएं। हालांकि इस मुलाकात को लेकर मांझी ने कोई बयान नहीं दिया है। यह मुलाकात उनके आवास पर बंद कमरे में हुई। लेकिन इस मुलाकात असर एनडीए में दिखा। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर तेज प्रताप पर तंज कसते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एनडीए के वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए किसी जनप्रतिनिधि की उनसे शिष्टाचार भेंट का राजनीतिक मायने निकालने की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।
सुशील मोदी ने आगे ट्वीट किया जीतन राम मांझी किसी एक जाति के नहीं, बल्कि बिहार में दलितों के बड़े सर्वमान्य नेता हैं। उन्होंने आरजेडी का कुशासन भी देखा है। उनसे किसी को जबरदस्ती मिलवा देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। एनडीए अटूट है और इसकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एनडीए एक लोकतांत्रिक गठबंधन है, इसलिए जनता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सभी घटक दलों की राय अलग-अलग हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में घटक दल को एक-दूसरे के विरुद्ध सार्वजनिक बयानबाजी करने के बजाय संगठन के आंतरिक मंच पर अपनी राय रखनी चाहिए।
उन्होंने जीतनराम मांझी को नसीहत देते हुए कहा कि इस समय कोरोना महामारी से सबको मिलकर लड़ना चाहिए ताकि सरकार और कोरोना योद्धाओं का मनोबल ऊंचा रहे। एनडीए के सभी घटक दलों से अपील है कि वे गैरजिम्मेदार बयानबाजी करने के बजाय पीड़ित मानवता की रक्षा करने में अपनी ऊर्जा लगाएं।
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