पटना : देशभर में कोरोना महामारी के गहराते संकट के बीच बिहार में भी बुरा हाल है, जहां राजधानी पटना सर्वाधिक प्रभावित है। राज्य में कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़कर जहां 1.42 लाख से अधिक हो गई है, वहीं अब तक में 728 लोग दम तोड़ चुके हैं। राज्य में सर्वाधिक प्रभावित राजधानी पटना है, जहां संक्रमण के 15 प्रतिशत से अधिक मामले हैं।
बिहार में यूं तो 38 जिले हैं, पर राज्य के 12 जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक मामले हैं, जिनमें राजधानी पटना के अतिरिक्त मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण मधुबनी, गया, कटिहाल, नालंदा, रोहतास, सारण और पूर्णिया शामिल हैं। पटना में जहां 21 हजार से अधिक केस हैं, वहीं मुजफ्फरपुर से लेकर पूर्णिया तक कहीं 6 हजार, कहीं 5 हजार तो कहीं 4 हजार से अधिक केस हैं।
पटना में संक्रमण के सर्वाधिक मामलों की वजह यहां की सघन आबादी को बताया जा रहा है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद यहां गतिविधियां जोरशोर से देखी जा रही हैं, जिस पर प्रशासन का कहना है कि इन पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हां, संक्रमण से बचाव को लेकर तमाम उपाय अपनाए जरूर जा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट से लेकर तमाम जरूरी सेवाओं पर रोक नहीं लगाई जा सकती, जिसके कर्मचारी अस्पताल से लेकर आवासीय इलाकों में भी जाते हैं, जिससे उनके संक्रमण की चपेट में आने और फिर उनसे संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता है।
इस बीच एम्स-पटना ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम पर जो रिपोर्ट दी है, वह भी चिंता पैदा करने वाली है। यहां कोरोना संक्रमण से उबरे मरीजों को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि संक्रमण से उबरे 20-25 प्रतिशत लोगों में कोविड-19 को लेकर एंटीबॉडी नहीं पाया गया है, जो भविष्य में संक्रमण से बचाव को लेकर बहुत महत्वपूर्ण है। डॉक्टर्स के मुताबिक, कोरोना संक्रमण से उबरे जिन लगभग 400 लोगों को लेकर अध्ययन किया गया, उसमें पाया गया कि लगभग 80-100 लोगों में या तो एंटीबॉडी नहीं है या फिर बेहद कम मात्रा में है, जो संक्रमण से बचाव को लेकर नाकाफी है।
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