जातिगत जनगणना के मुद्दे पर इस समय बिहार की सियासत गर्माई हुई है। हाल ही में राजद नेता तेजस्वी यादव ने ना सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था बल्ति नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा था। दरअसल तेजस्वी का आरोप था कि ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी,नीतीश कुमार के साथ दोयम दर्ज का व्यवहार करते हैं और उसके लिए खासतौर से मुलाकात के लिए समय ना दिए जाने का उदाहरण दिया हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मिल गया है।
सोमवार को दिल्ली में पीएम से मिलेंगे बिहार के राजनीतिक दल
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को 10 पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल पीएम मोदी से मिलेगा। यह लोगों की इच्छा है कि जाति आधारित जनगणना हो। उन्हें उम्मीद है कि इस विषय पर सकारात्मक चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि हमारा हमेशा से मत रहा है कि समय के बदलने के साथ ही देश के सामने बदला हुआ सामाजिक ताना बाना आना चाहिए। जेडीयू का इस विषय पर स्पष्ट मत रहा है। इसके साथ ही विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पारित हो चुका है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि देश में 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुई। 2011 में जाति के हिसाब से आंकड़े जुटाए गए लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। उसके पीछे दलील सामाजिक सौहार्द की दी गई है। अब सवाल यह है कि अगर सामाजिक सौहार्द की वजह से ही आंकड़े पेश नहीं किए गए तो अब जातीय जनगणना के जरिए किस मकसद को साधने की कोशिश की जा रही है। दरअसल इसके पीछे दो अहम वजहें हैं पहली बात तो ये कि देश में पिछड़ों की आबादी की बारे में सटीक जानकारी होगी और उस हिसाब से राजनीतिक दल अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।
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