मंदिरों पर सर्विस चार्ज लगाने से पूरे बिहार में श्रद्धालुओं और पुजारियों में आक्रोश है। वे जमकर इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह गलत है। एक श्रद्धालु ने कहा कि राजस्व की पूर्ति के लिए मंदिरों पर टैक्स लगाया जा रहा है, शराब से राजस्व की प्राप्ति होती थी उसे बंद घर-घर शराब पहुंचाई जा रही है। एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि सिर्फ मंदिरों पर टैक्स क्यों? मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब पर टैक्स लगना चाहिए।
दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट और श्रद्धालुओं ने तुरंत इसे वापस लेने की मांग की है। आवासीय परिसर के भीतर कई मंदिर बने हैं। उन्हें भी रजिस्ट्रेशन करना होगा। पटना LiveU के माध्यम से एक मंदिर के समान आवासीय परिसर में तैनात एक पुजारी के शॉट्स और बाइट अपलोड किया है।
मंदिरों पर टैक्स लगाने के बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के फैसले पर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के सहायक अधीक्षक (प्रभारी) तुलसयन सहगल ने टाइम्स नाउ को बताया कि टैक्स जैसा कुछ नहीं बल्कि सालाना सर्विस चार्ज है।
राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने सर्विस चार्ज के नाम पर हिंदुओं पर "जज़िया टैक्स" लगाने के लिए राज्य सरकार पर हमला किया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री नीरज बबलू के अलावा बीजेपी विधायक ललन पासवान ने भी इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति जताई है।
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