पटना। रामविलास पासवान एक ऐसी शख्सियत जो समाज के वंचित तबके की आवाज थे अब वो इस दुनिया में नहीं है। पटना के दीघा घाट पर रीति रिवाज के अंतिम संस्कार किया गया। लंबी बीमारी के बाद एम्स में आखिरी सांस ली। उनके निधन के बारे में बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट के जरिए जानकारी दी। रामविलास पासवान की निधन की खबर के बाद राजनीतिक हल्के में शोक की लहर दौड़ गई। उनके सम्मान में 9 अक्टूबर और 10 अक्टूबर को सरकारी दफ्तरों पर राष्ट्रीय ध्वज को झुकाने का फैसला किया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल का प्रतिनिधित्व करने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद रहे।
असाधारण प्रतिभा का चला जाना दुखद
रामविलास पासवान के निधन के पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनका जाना निजी क्षति है, सार्वजनिक जीवन में श्री पासवान ने उच्च आदर्शों के मानदंड को बरकरार रखा। उन्होंने अपने जीवन को समाज के उन लोगों के लिए समर्पित कर दिया जो सदियों से मुख्य धारा से कटे हुए थे। उनके निधन पर गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री ने कहा था कि वो एक संस्था थे। वैचारिक भिन्नता के बावजूद उनके जीवन का मकसद था कि समाज के कटे हुए लोगों को किस तरह से मुख्य धारा में जोड़ा जा सकता है। उनकी राजनीति के तरीके पर मतभेद हो सकता है। लेकिन कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी नहीं थे।
दिल्ली और पटना में लोगों ने किए अंतिम दर्शन
शुक्रवार को सुबह रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को दिल्ली स्थित उनके आवास पर लाया गया जहां पीएम समेत दूसरे गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी। खास और आम लोगों की श्रद्धांजलि के बाद उनके शव को पटना ले जाया गया। अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में उमड़े। अंतिम यात्रा से पहले उनकी शरीर को पार्टी के कार्यालय में रखा जाएगा जहां से अंतिम विदाई यात्रा शुरू हुई होगी। कहने को तो उन्होंने अपने जीवन में अनेकों यात्राओं को देखा रहा होगा। लेकिन यह यात्रा ऐसी है जहां से आ पाना मुमकिन नहीं है। अब सिर्फ और सिर्फ स्मृति ही शेष रह जाएगी।
पढ़िए Patna के सभी अपडेट Times Now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।