पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अब सिर्फ 6 दिन बचे हैं और चुनावी प्रचार अपने चरम पर है। एनडीए और महागठबंधन के नेता एक दूसरे के ऊपर आरोप लगा रहे हैं कभी कभी जुबां भी फिसल जा रही है। तेजस्वी यादव का वादा है कि अगर वो सरकार में आएंगे तो 10 लाख लोगों को रोजगार देंगे। लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि तेजस्वी पैसे कहां से लाएंगे। अब इस तरह के बयान पर सधी प्रतिक्रिया आनी थी और वो आई भी।
मानसिक और शारीरिक तौर से थक चुके हैं नीतीश कुमार
नीतीश कुमार जी मानसिक और शारीरिक रूप से थक चुके हैं। नीतीश कुमार 15 साल शासन करने के बाद कह रहे हैं कि नौकरी देने का पैसा कहां से आएगा? उनको बताना चाहिए कि जो 60 घोटाले इन लोगों ने किए हैं वो लगभग 30,000 करोड़ बिहार के बजट का पैसा है, वो कहां गया। तेजस्वी यादव ने कहा कि हकीकत तो यह है बिहार की जनता को सिर्फ छलने का काम किया गया है। एक तरफ नीतीश कुमार डबल इंजन की सरकार बताते हैं और उसके बाद पैसों का रोना रोते हैं। सच तो यह है कि जितने घोटाले हुए उसमें बिहार का पैसा बर्बाद हुआ वो बिहार सरकार के बजट का पैसा था।
चुनाव के मिजाज को परखना आसान नहीं
बिहार चुनाव के मद्देनदर हर एक दल अपने अपने तरह से विरोधी दलों पर निशाना साधने के क्रम में खुद को पाकसाफ बता रहे हैं। 2020 के चुनाव पर जानकारों का कहना है कि यह इलेक्शन इसलिए अलग है क्योंकि कोरोना काल में इसे कराया जा रहा है और तीन चार महीने पहले जब प्रवासी मजदूरों का आना शुरू हुआ तो वो उस समय एक मुद्दा बना। इसे लेकर अलग अलग राजनीतिक दलों के अपने तर्क हैं। लेकिन अब जमीन पर उसका असर सिर्फ बातों में दिखाई दे रहा है। लेकिन अभी पहले चरण का चुनाव संपन्न होना है, 28 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के बाद ही कहा जा सकता है कि बिहार का मिजाज क्या है।
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