पटना। नई सोच नया बिहार, युवा सरकार अबकी बार। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के राज्य में लगे बड़े-बड़े पोस्टर पर ये लिखा हुआ और पोस्टर के एक किनारे तेजस्वी यादव की फोटो लगी है। तेजस्वी यादव राजद के कर्ताधर्ता लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र हैं, किन्तु अभी वो जेल की सलाखों के पीछे से ही राजनीति खेल रहे हैं। वो जेल के अंदर हैं तो बाहर उनके सुपुत्र क्या खेल दिखा रहे हैं, ये देखकर सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि राज्य की जनता के साथ-साथ मीडिया भी चकित है। आखिर ऐसा कैसे हो सकते है कि पोस्टर से लालू प्रसाद यादव को ही गायब कर दिया जाए।
पोस्टर से गायब हो दिल में समा गए लालू
बिहार में जगह-जगह लगे इन बड़े-बड़े पोस्टर को आप सभी ने भी देखा होगा. तो इसका राज ये है कि खुद राजद के कार्यकर्ता अब लालू को पोस्टर में नहीं बल्कि दिल में रखना चाहते हैं। राजद के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके लिए अभी सबकुछ तो तेजस्वी ही कर रहे हैं। लालू जी के ही तो लाल हैं वो. वही पार्टी के सेनापति हैं तो फोटो भी उन्हीं की लगेगी। पार्टी कार्यकर्ता बेचारे तो वही बोलेंगे जो उनसे पार्टी का मुखिया कहेगा। वैसे अभी लालू के जेल में रहने से पूरा कामधाम तेजस्वी ही कर रहे हैं। लोजपा के ‘चिराग’ की ही तरह तेजस्वी भी अपना तेज फैलाकर पार्टी के कर्ताधर्ता बनने की राह पर हैं।
‘आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे’
बिहार की राजनीति में जहां हर पार्टी अपनी जड़ों को लेकर चुनावी अखाड़े में उतरने का प्रयास कर रही है, रूठों को मनाने में लगी है, वहीं नए खून वाले तेजस्वी यादव इस तरह से नए के चक्कर में पड़ गए हैं कि कहीं पुराने ही उनसे रूठ न जाएं। तेजस्वी इस समय अपने पुराने वोटर्स को भूलकर नए को लुभाने के चक्कर में पड़े हैं, लेकिन कहीं ऐसा न हो जाए कि तेजस्वी का ये दाव गलत न पड़ जाए और उन्हें आधी मिले न पूरी पावे वाले तर्ज पर अपने पुराने वोटर्स से हाथ धोना पड़े।
‘एक पोस्टर की कीमत तुम क्या जानो तेजस्वी बाबू’
वैसे तो जब से लालू प्रसाद यादव जेल के भीतर सजा काट रहे हैं, उनके पुत्र तेजस्वी ही पार्टी को नई दिशा दे रहे हैं। पुराने चावल की कीमत जैसे मेहमान के आने के बाद पता चलती है, ठीक उसी तरह से चुनावी मौसम में पुराने और मंझे हुए नेता ही काम आते हैं। बिहार के चुनाव में मंझे हुए खिलाड़ी को अखाड़े से दूर रखकर तेजस्वी यादव कहीं बड़ी गलती तो नहीं कर रहे। पोस्टर से अपने पिता और राष्ट्रीय जनता दल के नेता को हटाना भविष्य में उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। पोस्टर चाहे फिल्म का हो या फिर चुनाव का। उसपर बड़े चेहरों का होना ही जनता को खींचता है। कई बार अच्छी से अच्छी फिल्मों को नए हीरो के कारण फ्लॉप होते देखा गया है। तेजस्वी को ये भी सोचना चाहिए कि फिल्मों में कई बार 5 मिनट के रोल के लिए बड़े चेहरे को पोस्टर पर हीरो से अधिक जगह दी जाती है। फिल्म को जनता के दिल तक पहुंचाने का एक ये भी जरिया है।
कांग्रेस भी रह गई दंग जब देखा तेजस्वी का ये रंग
बिहार राज्य में कांग्रेस जेल में बंद लालू के भरोसे मैदान में उतर रही है. कांग्रेस का कहना है कि लालू प्रसाद यादव हर बिहारी की पहचान हैं और कांग्रेस उनके भरोसे बिहार के चुनावी अखाड़े में उतरेगी। कांग्रेस ने अपने हर प्रेस विज्ञप्ति में यही कहा कि लालू प्रसाद यादव ही हर बिहारी की पहचान हैं। उनके चेहरे पर ही बिहार की जनता वोट देगी। लेकिन ये क्या राजद के भीतर ही इस चेहरे पर भरोसा नहीं।
तेजस्वी का ये तेज कहीं पार्टी को ही जलाकर राख न कर दे
लालू प्रसाद यादव में अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की कूबत थी, लेकिन वपो कूबत वो क्षमता उनके सुपुत्र में दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। तेजस्वी यादव का अपने सहयोगी दलों से केर-बेर वाला रिश्ता चल रहा है। जीतन मांझी के महागठबंधन से अलग होने के बाद अब उपेन्द्र कुशवाहा को भी तेजस्वी का ये तेज रास नहीं आ रहा है।
अब अगर कोई बचा है तो वो है कांग्रेस. पिछले चुनाव में मुंह की खाने के बाद इस बार कांग्रेस के पास लालू को छोड़ने का कोई विकल्प नहीं है। वो लालू को वो तिनका समझ रही है, जो कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व को बचाने का काम करेगा। नीतीश कुमार, सुशील मोदी, जीतन मांझी, राम विलास पासवान जैसे मंझे हुए खिलाड़ियों के बीच कहीं तेजस्वी यादव अपनी इस पोस्टर वाली गलती के कारण धोबी पछाड़ न खा जाएं।
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