Meteorite: 29 अप्रैल को धरती के बेहद करीब से गुजरने वाला है 'उल्का पिंड'

Meteorite near by Earth: दुनिया में जारी कोरोना संकट के बीच कहा जा रहा है कि काफी बड़ा उल्‍कापिंड पृथ्‍वी के बेहद नजदीक से गुजरने वाला है, जिसकी रफ्तार करीब 19000 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

नई दिल्ली: कोविड-19 के कहर के बीच दुनिया के लोग तमाम दिक्कतों का सामना कर रहे हैं ऐसे में कोई भी छोटी बड़ी खबर लोगों को प्रभावित कर रही है ऐसे में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से एक बड़ी खबर सामने आई है बताया जा रहा है कि 29 अप्रैल को एक उल्कापिंड (Meteorite) पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा और  इसकी रफ्तार भी काफी ज्यादा होगी बताते हैं कि उसकी स्पीड 19000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। 

इसको लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या होगा तो वहीं ये भी कहा जा रहा है कि इसको लेकर घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि इस उल्‍कापिंड के धरती से टकराने की संभावना बेहद कम ही है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके एक छोर पर पहाड़ियों और लकीरें जैसे विशेषताएं दिखती हैं, इसलिए ये मास्क लगाए हुए जैसा नजर आता है। बताते हैं कि बुधवार 29 अप्रैल को सुबह करीब 6 बजे से पहले ईस्टर्न टाइम में उल्कापिंड पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा।

इसका व्यास 500 फीट से भी ज्यादा है इसलिए इसे  'संभावित खतरनाक' उल्का पिंड के रूप में बताया जा रहा है, 'हालांकि इसका धरती पर  कोई असर नहीं पड़ेगा ऐसा कहा जा रहा है। बताते हैं कि इस उल्का पिंड का नाम 1998 OR2 है,इसे पहली बार 1998 में देखा गया था।

उल्का पिंड हैं क्या
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं।

प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना  के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं।

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