What is Cloudburst: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बादल फटने से 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लापता हो गए। यहां पिछले कुछ समय से काफी भारी बारिश हो रही है, जिससे ये घटना हुई। राहत एवं बचाव कार्य जारी है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) अन्य टीमों के साथ मिलकर बचाव अभियान चला रहा है। SDRF के आईजी संजय गुंज्याल ने बताय, 'पिथौरागढ़ के 4 गांवों में बादल फटा। पत्थरकोट में 3 लोग दबे थे जिसमें से 2 का शव बरामद कर लिया गया है। टांगा में 9-11 लोग गायब हुए। बाता/सिरतोला से घर और जानवरों को क्षति की खबर है। चौपर की व्यवस्था कर ली गई है पर मौसम खराब होने की वजह से कार्रवाई में देरी आ रही है। ऐसे में यहां ये समझना जरूरी है कि आखिर बादल फटना क्या है और ये क्यों फटता है।
क्या है बादल फटना और क्यों फटते हैं बादल
बादल फटने का मतलब ये नहीं है कि बादल फट गया है और उसके टुकड़े हो गए हैं। जबकि इसका मतलब है कि एक ही जगह पर थोड़ी ही देर में एक साथ बहुत बारिश हो गई है। यह एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में थोड़े समय के अंतराल में होने वाली अत्यधिक वर्षा है। मौसम वैज्ञानियों का कहना है कि आमतौर पर बादल फटने से होने वाली बारिश औसतन 100 मिमी (4.94 इंच) प्रति घंटे की दर से होती है। ये वहां होता है जहां ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं। इससे बादल का भार बढ़ जाता है। इससे भारी बारिश हो जाती है।
पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से ये आगे नहीं बढ़ पाते, इसलिए पहाड़ी इलाकों में बादल ज्यादा फटते हैं। लेकिन 26 जुलाई 2005 को मुंबई में बादल फटने से 10 घंटे में 1448 मिमी बारिश हुई। एक सीमित क्षेत्र पर अचानक जैसे कि सभी बादल कुछ ही मिनटों में बरसने लगे और यदि यह कुछ ही वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिमी से अधिक बारिश करते हैं, तो इसे बादल फटना कह सकते हैं।
पहाड़ों पर भारी बारिश होने से पानी बहुत तेज गति से नीचे की तरफ आता है, जो अपने साथ मलबा, पत्थर और कई चीजों को लेता हुआ आता है। माना जाता है कि बादल जब अचानक धरती की अपेक्षाकृत ज्यादा गर्म हवा और ज्यादा वायु दबाव के संपर्क में आता है तो वह फट जाता है।