Chanakya Niti: इन 7 लोगों को पैर से छूने से होगा नुकसान, नष्ट हो सकता है पूरा जीवन

Never touch 7 people with your foot: आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र में वर्णित है कि यदि मनुष्य अपने जीवन में भूलवश भी सात लोगों को पैर से छू दे तो उसका जीवन नष्ट हो सकता है।

Chanakya life philosophy, चाणक्य का जीवन दर्शन
Chanakya life philosophy, चाणक्य का जीवन दर्शन 
मुख्य बातें
  • गुरु ईश्वर से भी बड़ा होता है इसलिए उसे पैर न लगाएं।
  • शिशु और कुंवारी कन्या ईश्वर समान होते हैं, इन्हें पैर से न छूएं।
  • अग्नि जला कर राख कर सकती है, इसलिए इसे पैर न लगाएं।

आचार्य चाणक्य की नीतियों में मनुष्य के जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें वर्णित हैं। यदि मानुष्य चाणक्य नीतियों का अनुसारण कर ले तो उसे जीवन में किसी भी विपदा का सामना नहीं करना होगा। इतना ही नहीं उसकी सफलता उसके कदमों में होगी और समाज में उसका सम्मान भी होगा। चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिये मनुष्य को सचेत करने का भी प्रयास किया है। इसी क्रम में उन्होंने बताया है कि मनुष्य को अपने जीवन काल में सात लोगों को कभी भी पैर से नहीं छूना चाहिए। ये सात लोग वंदनीय माने गए हैं और यदि मनुष्य इन्हें भूलवश भी पैर लगा दे तो उसे तुरंत क्षमा याचना करनी चाहिए, वरना उसका जीवन नष्ट हो सकता है। तो चाणक्य के इस दोहे के साथ जानें कि ये सात लोग कौन हैं जिन्हे पैर कभी नहीं लगाना चाहिए।

पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरुं ब्राह्मणमेव च।
नैव गावं कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा॥

आचार्य चाणक्य के नीति ग्रंथ के सातवें अध्याय में छठवां श्लोक बताता है कि मनुष्य को जीवन में अपने इन सात लोगों का हमेशा सम्मान करना चाहिए और इन सात लोगों को कभी भी पैर से नहीं छूना चाहिए। ये सात लोग अग्नि, गाय, गुरु, ब्राह्मण, कुंवारी कन्या, वृद्ध और शिशु बताए गए हैं।

चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि यदि अग्नि को को मनुष्य पैर लगाए तो वह निश्चित रूप से जल जाएगा और जलने के बाद उसका जीवन संकट में पड़ेगा। इसलिए अग्नि से कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और अग्नि को हमेशा दूर से प्रणाम करना चाहिए। अग्नि को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है और अग्नि को साक्षी मान कर वचन लिए जाते हैं। इसलिए अग्नि का सम्मान करना चाहिए।

गुरु और  ब्राह्मण के साथ ही चाणक्य ने वृद्ध व्यक्ति को भी वंदनीय माना है। गुरु ईश्वर से भी बड़ा होता है, इसलिए उसे कभी पैर लगाने का विचार भी मन नहीं लाना चाहिए। ब्राहमण ईश्वर का दूत माना जाता है इसलिए उसका सम्मान करना परम कतर्व्य है। वहीं वृद्ध आदरणीय होते हैं, इसलिए इनका भी सम्मान करना चाहिए। यदि इन तीन को भूलवश पैर छू जाए तो तुरंत क्षमा याचना करनी चाहिए।

इसे बाद चाणक्य कुंवारी कन्या और शिशु को पैर से न छूने की सलाह दी है। चाणक्य का कहना है कि कुंवारी कन्या देवी का रूप होती है और छोटा शिशु भगवान का। इसलिए इन्हें पैर लगाने वाला किसी भी तरह से बच नहीं सकता।

इसके अलावा चाणक्य ने कहा है कि गाय पूजनीय होती है और इसे यदि कोई पैर लगाए तो उसे महापाप लगता है।

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