कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन गुरुनानक पर्व मनाया जाता है। गुरु नानक देव ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। गुरुनानक देव को बाबा नानक और नानकशाह के नाम से भी भक्त पुकारते हैं। गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी कारण इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। इस दिन 'वाहे गुरु, वाहे गुरु' जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है।
साथ ही गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन के साथ भक्तों के लिए लंगर लगता है। इस दिन गुरुद्वारे में रुमाला चढ़ाने का रिवाज होता है। इस दिन भक्त अपनी श्रद्धा से गुरुद्वारे में कोई न कोई सेवा जरूर देते हैं। यहां सेवा का अवसर पाना बहुत पुण्य माना जाता है। साथ ही इस दिन गुरुवाणी का पाठ करते हैं।
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है? (Why we celebrate Gurupurab)
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है और इस बार 30 नवंबर 2020 को प्रकाश पर्व पड़ेगा। गुरु पर्व या प्रकाश पर्व का आयोजन गुरु नानक देव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में पड़ता है। इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर ही पड़ा है।
गुरु नानक जी कौन थे? (Who was Guru Nanak Dev Ji)
गुरु नानक जी सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे। उन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी थी। गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगाया था। गुरु नानक देव ने 16 साल की उम्र में सुलक्खनी नाम की कन्या से शादी की और दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने थे। 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई थी। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने।
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