नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के मुताबिक एक साल में 24 एकादशी आती हैं। महीने में दो यानी 15 दिन में एक एकादशी। इन सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2020) सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है जिसके बारे में कहा गया है कि यह सबसे महात्वपूर्ण और फलदायी है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी को करने से 24 एकादशी का फल प्राप्त होता है। इस साल निर्जला एकादशी 2 जून को पड़ रही है।
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। निर्जला यानी इस दिन जल भी नहीं पिया जाता। यानी इस एकादशी को बिना जल के ही किया जाता है इसलिए यह एक कठिन एकादशी भी मानी जाती है। क्योंकि बेहद गर्मी में जो व्रती होते हैं वो बिना पानी पिए इस व्रत को करते हैं। जो भी इंसान इस व्रत को करता है उसे पूरे 24 एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। ज्योतिषाचार्च पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार निर्जला एकादशी पर इंसान को कुछ कामों को करने से बचाना चाहिए।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है
सालभर में सभी 24 एकादशियों में सबसे बड़ी, महत्वपूर्ण और कठिन एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन आने वाली निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत काल में इसे भीम के किए जाने का वर्णन मिलता है । दरअसल इस व्रत की खासियत यह है कि यह कई विधि विधानों के बीच बिना जल के किया जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन क्या न करें
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