हिंदू कलैंडर में आने वाले एकादशी के तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को निराजल रखा जाता है जिस वजह से ये बेहद कठिन माना गया है। इस व्रत का आरम्भ सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक चलता है। अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो ब्रह्ममुहूर्त में श्री विष्णुसहस्त्रनाम से इसका आरम्भ कीजिये और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र का जप करते रहिये। यानी इस एकादशी को बिना जल ग्रहण किए 24 घंटे से अधिक समय के लिए रखा जाता है।
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। इस दिन अपने माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें। यदि हो सके तो धार्मिक पुस्तक का दान करें। यह महीना गर्मी का होता है इसलिए प्याऊ की व्यवस्था करने से आपको अधिक लाभ मिलेगा। इस दिन इंसान ही नहीं बल्कि पक्षियों और जानवरों को भी पानी पिलाना चाहिये।
निर्जला एकादशी तारीख : मंगलवार , 2 जून
एकादशी तिथि प्रारंभ : सोमवार, 1 जून, 14:57 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त : मंगलवार , 2 जून, 12:04 मिनट पर
एकादशी व्रत पारण समय: बुधवार, 3 जून, 05:41 से 08:22 तक
1. भगवान विष्णु की पूजा करें।
2. किसी भी स्थिति में पाप कर्म से बचें अर्थात पाप न करें।
3. माता पिता और गुरु का चरण स्पर्श करें।
4. श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
5. श्री रामरक्ष स्तोत्र का पाठ करें।
6. श्री रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड का पाठ करें।
7. धार्मिक पुस्तक का दान करें।
8. यह महीना गर्मी का होता है इसलिए प्याऊ की व्यवस्था करें।
9. अपने घर की छत पे पानी से भरा पात्र अवश्य रखें।
10 श्री कृष्ण की उपासना करें।
हिंदू पुराण के अनुसार भीम को छोड़कर बाकी के सभी पांडव वर्ष भर में आने वाली सभी एकादशियों का व्रत रखते थे। भीम बिना भोजन के नहीं रह पाते थे। इस बात की ग्लानि हमेशा भीम को रहती थी इसके समाधान के लिए वो महर्षि व्यास के पास गए। व्यास जी ने उन्हें एक बार बिना जल के निर्जला एकादशी का व्रत रखने को कहा जो सारी एकादशी के बराबर पुण्य देगा। तभी इस एकादशी को भीम एकादशी भी कहते हैं।
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