भारतीय संस्कृति में व्रत का विशेष महत्व होता है। व्रत करके इंसान अपने मस्तिष्क को शांत रखता है और अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है। व्रत करने से ना ही सिर्फ शारीरिक लाभ मिलते हैं बल्कि यह अध्यात्म शक्ति को भी दृढ़ करता है। यूं तो महीने में कई व्रत के पर्व आते हैं लेकिन हर महीने त्रयोदशी तिथि के दिन मनाए जाने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के शुभ तिथि पर भगवान शिव कैलाश पर्वत पर स्थित रजत भवन में नृत्य करते हैं। इस दिन व्रत करके जो भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना श्रद्धा भाव के साथ करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यहां जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
प्रदोष व्रत तिथि: - 26 जनवरी 2021
प्रदोष व्रत आरंभ होने की तिथि और मुहूर्त: - 26 जनवरी 2021 (00:24 से लेकर)
प्रदोष व्रत समाप्त होने की तिथि और मुहूर्त: - 27 जनवरी 2021 (01:11 तक)
क्या है प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Kyon karte hain)
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार यह कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है, साथ में शिव पुराण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करता है उसके सारे दुख हमेशा के लिए दूर होते हैं। उन भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है और उनके बिगड़े हुए सभी काम बनते हैं। अगर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है तो उसे शनि प्रदोष कहा जाता है। जो लोग संतान सुख पाना चाहते हैं उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लीजिए। नहाने के बाद अपने पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर कीजिए और भगवान से व्रत करने का संकल्प लीजिए। पूजा आरंभ करते हुए भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल से कीजिए। पूजा करते समय पंचामृत जरूर शामिल कीजिएगा। पूजा करने के बाद भगवान शिव को भोग लगा दीजिए। भोग लगाने के बाद व्रत का संकल्प लेते हुए आप अपने काम शुरू कर सकते हैं।
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