घर में अगर सुबह-शाम पूजा हो तो इसमें शांति का वास होता है। लेकिन काम के चक्कर में अक्सर सुबह की पूजा छूट जाती है। ऐसे में शाम के समय की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। लेकिन इस समय की पूजा के भी कुछ नियम हैं जो संध्या पूजन को सुबह की पूजा से अलग करते हैं।
प्रचलित जानकारी के अनुसार, सुबह के समय दैवीय शक्तियां बलवान होती हैं जबकि शाम के समय आसुरी। इस तरह दोनों समय की पूजा का महत्व है। सुबह के समय भगवान को प्रसन्न करने के पूजन करें तो शाम को आसुरी प्रभाव कम करने के लिए पूजा करें।
शाम का पूजन सूर्य के अस्त होने के बाद और अंधेरा होने से पहले करना चाहिए। इस पहर को संध्या कहा जाता है।
तो अब से संध्या में इन नियमों के साथ पूजन करें और इसका फल भी भोगें।
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