शिरडी के साईं बाबा आध्यात्मिक गुरु थे और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गए भक्त और फकीर की तरह बििताई। जिस तरह सादगी के साथ वह रहते थे और सादगी पसंद करते थे, वैसा ही प्रेम वह अपने भक्तों से चाहते हैं। यही कारण है कि साईं बाबा की पूजा बेहद सरल मानी गई है। साईं हमेशा प्रेम,क्षमा, दूसरों की सहायता, दान, संतोष,आंतरिक शांति और भगवान और गुरु के प्रति समर्पण पर जोर दिया।
उन्होंने सच्चे सतगुरु के सामने आत्मसमर्पण करने पर ही या क्योंकि दिव्य चेतना के मार्ग पर चलने का ज्ञान इन्ही से प्राप्त होता है। यदि आपके जीवन में भी भटकाव आ गया है या कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही तो साईं के वचनों को ध्यान कर पांच दिन की विशेष पूजा जरूर करें।
जाने, कैसे की जाती है साईं की पांच दिन की विशेष पूजा
यह पूजा गुरुवार के दिन से शुरू कर नियमित रूप से 5 दिनों तक की जाती है। वैसे आप इस पूजा को किसी भी दिन शुरू कर सकते हैं, लेकिन गुरुवार सबसे बेहतर दिन माना गया है।
साईं की पूजा का समय सुबह और शाम तय करें और लगातार पांच दिन तक उसी समय पर पूजा करें।
साईं की पूजा का संकल्प लें और इसके बाद साईं बाबा के सामने 5 दीपक जलाएं।
इसके बाद साईं बाबा के पवित्र चरणों में कोई एक फूल अर्पित करें। कोशिश करें ये फूल पीला हो।
एक फल बाबा को चढ़ाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों में वितरित करें।
इसके बाद साईं का ध्यान करें और साईं-साईं या साईं के किसी भी मंत्र का कम से कम 108 जपें।
अंत में साईं बाबा की आरती करें और सत्चरित्र का पाठ करें।
साईं के पांच भजन गाएं और इसके बाद पूरे दिल से बाबा के पवित्र चरणों का स्मरण करते हुए उनका आशीर्वाद लें।
5 वें दिन पूजा पूरी होने पर आप पूजा का प्रसाद कम से कम पांच लोगों में बांटे और पूजा के बारे में जानकारी दें ताकि इस पूजा का लाभ अन्य लोग भी उठा सकें।
साईं की पूजा आप मंदिर या घर पर कहीं भी कर सकते हैं, लेकिन एक बार जो नियम बना लें उसी का पालन करें।
पांच दिन की पूजा पूर्ण होने पर पांच गरीब और असहाय लोगों की मदद करें और उन्हें भोजन खिलाएं।
साईं की ये पांच दिन की पूजा बहुत फलदायी मानी गई है। बस इस पूजा में प्रेम और सादगी होनी चाहिए।
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